Bihar Elections: मधेपुरा में पप्पू यादव, शरद यादव और नीतीश के दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा दाव पर

11/6/2020 5:40:08 PM

पटनाः बिहार में तीसरे और अंतिम चरण में सात नवंबर को हो रहे विधानसभा चुनाव में मधेपुरा जिले में जन अधिकार पार्टी (जाप) सुप्रीमो और पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव तथा पूर्व सासंद शरद यादव एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दो मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव और रमेश ऋषिदेव की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है।

बिहार के कोसी इलाके की हाईप्रोफाइल मधेपुरा विधानसभा सीट का चुनाव महज एक सीट भर की बात नहीं है बल्कि इसे प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (प्रलोग) के मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की प्रतिष्ठा से जोड़कर भी देखा जा रहा है। महागठबंधन की ओर से राजद के निवर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं वहीं एनडीए में शामिल जदयू के टिकट पर मंडल आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के पौत्र निखिल मंडल भी बाजी अपने नाम करने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं।

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साकार सुरेश यादव मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने की प्रयास में लगे हैं। इस सीट पर 18 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। वर्ष 2015 में राजद के प्रो. चंद्रशेखर ने भाजपा के विजय कुमार विमल को 37642 मतों के अंतर से मात दी थी। मधेपुरा के बारे में एक कहावत है ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का।' मधेपुरा जिले में जातीय समीकरण और जातीय वोट का असर रहता है। मधेपुरा कभी समाजवाद का गढ़ कहा जाता था। समाजवादी धारा से जुड़े लालू प्रसाद यादव ने इस इलाके पर अपना वर्चस्व बनाया।

इस सीट पर लालू प्रसाद यादव का कितना असर है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की बिहार में लहर चल रही थी उस वक्त भी मधेपुरा सीट पर राजद प्रत्याशी प्रोफेसर चंद्रशेखर ने जीत दर्ज की। हालांकि इसके बाद वर्ष 2015 में लालू यादव और नीतीश कुमार ने महागठबंधन में शामिल होकर साथ चुनाव लड़ा और चंद्रशेखर फिर जीते। मधेपुरा सीट से वर्ष 1962 और 1972 में बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल ने जीत हासिल की थी। फरवरी और अक्टूबर 2005 के चुनाव में मनिन्द्र कुमार मंडल भी निर्वाचित हुए।

Ramanjot