Purnia Lok Sabha Seat: ओवैसी बिगाड़ेंगे पप्पू यादव का सियासी समीकरण, क्या इस बार पूर्णिया से जेडीयू को मिलेगी जीत

3/28/2024 11:04:58 AM

पूर्णिया: बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक पूर्णिया लोकसभा सीट है। इस सीट पर पहली बार साल 1957 में कांग्रेस के टिकट पर फनी गोपाल सेन गुप्ता चुनाव जीते। इसके बाद इस सीट पर साल 1971 तक कांग्रेस का ही कब्जा रहा लेकिन 1977 में इस सीट पर बीएलडी ने कब्जा जमाया और लखनलाल कपूर चुनाव जीतने में कामयाब रहे। साल 1980 में एक बार फिर से कांग्रेस ने वापसी की और माधुरी सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रही। 1984 के चुनाव में भी जनता ने माधुरी सिंह को ही चुना। 



1989 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर यहां से तस्लीमुद्दीन चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे। 1996 के चुनाव में सपा के टिकट पर यहां से राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव चुनाव जीते तो 1998 में बीजेपी के जयकृष्ण मंडल चुनाव जीतने में सफल रहे। हालांकि 1999 में पप्पू यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत आजमाई और चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 2004 के चुनाव में इस सीट पर फिर एक बार बीजेपी को जीत मिली और उदय सिंह सांसद बने। इसके बाद 2009 के चुनाव में भी यह सीट बीजेपी के ही खाते में रही और इस बार भी उदय सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 



हालांकि 2014 में मोदी लहर के बावजूद यह सीट बीजेपी नहीं बचा सकी और जेडीयू के संतोष कुमार कुशवाहा यहां से सांसद बने। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पूर्णिया सीट पर संतोष कुमार कुशवाहा का ही कब्जा रहा। पूर्णिया लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं जिनमें कस्बा, बनमखनी, रुपौली, धमदाहा, पूर्णिया और कोरहा शामिल हैं। अब आपको बताते हैं कि किस जिले की कौन सी विधानसभा सीटें पूर्णिया लोकसभा के अंतर्गत आती हैं। 



2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया से संतोष कुमार कुशवाहा ने जीत हासिल की। कुशवाहा को कुल 6 लाख 32 हजार 924 वोट मिले। वहीं कांग्रेस कैंडिडेट उदय सिंह 3 लाख 69 हजार 463 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे तो निर्दलीय कैंडिडेट सगीर अहमद 21 हजार 374 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे।



अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2014 में इस सीट पर JDU के संतोष कुमार ने 4 लाख 18 हजार 826 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था। तो वहीं बीजेपी के उदय सिंह 3 लाख 2 हजार 157 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। जबकि कांग्रेस के अमरनाथ तिवारी को 1 लाख 24 हजार 344 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 



साल 2009 में की बात करें तो बीजेपी के उदय सिंह ने 3 लाख 62 हजार 952 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी तो वहीं निर्दलीय शांति प्रिया 1 लाख 76 हजार 725 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहीं थी। जबकि एलजेपी के शंकर झा को 22 हजार 773 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 



साल 2004 में की बात करें तो बीजेपी के उदय सिंह ने 2 लाख 44 हजार 426 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी तो वहीं LJNSP के राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव 2 लाख 31 हजार 543 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। जबकि निर्दलीय जीवछ पासवान को 57 हजार 21 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।

पूर्णिया लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को मतदान होना है। यहां से पप्पू यादव ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है। पप्पू यादव यहां से पहले भी सांसद रह चुके हैं। वहीं जेडीयू ने 2014 के कठिन चुनाव में भी पूर्णिया में जीत हासिल की थी। इसलिए पूर्णिया में जेडीयू की स्थिति काफी मजबूत है। हालांकि इस बार ओवैसी भी पूर्णिया से अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं। अगर ओवैसी ने उम्मीदवार दिया तो पूर्णिया में महागठबंधन के उम्मीदवार की नैया पार होनी मुश्किल हो जाएगी। 

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Ramanjot