राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली फिल्म 'मिथिला मखान' इस दिन होगी रिलीज, जानें इससे जुड़ी कहानी

9/15/2020 1:46:38 PM

नई दिल्ली/पटनाः बिहार की मैथिली भाषा में बनाई गई फिल्म "मिथिला मखान" को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। इस फिल्म का निर्देशन नितिन चंद्रा के द्वारा किया गया है। फिल्म में बिहार में बाढ़ और उससे होने वाली त्रासदी को दिखाया गया है। इसमें बाढ़ के बाद पलायन के मुद्दे भी दिखाया गया है। वहीं इस फिल्म को बनाने के पीछे की पूरी कहानी, इससे जुड़े संघर्ष और राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने तक के सफर को नितिन चंद्रा ने साझा किया।

निर्देशक नितिन चंद्रा कहते हैं कि बिहार में 2008 के बाढ़ में मैं, नेपाल-बिहार बॉर्डर पर एनजीओ के साथ काम कर रहा था और बाढ़ से हुई त्रासदी ने मन में कई कहानियों को जन्म दिया। मैंने इस समस्या को समझने के लिए एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म बनाई थी। तब मैंने अनुभव किया कि बिहार से भारी पलायन होने और जमीनी स्तर पर विकास नहीं होने के कई कारण एक साथ मौजूद हैं। सबसे जरूरी बात यह है कि वहां जमीनी स्तर पर कोई आजीविका नहीं थी।

फिल्म के लिए फंड जुटाना एक बड़ी समस्या
उत्तर बिहार में बाढ़ का कहर था और उसके बाद रेत से ढकी जमीन, जिस पर खेती नहीं हो सकती। बिहार के किसान देश के हर हिस्से में मजदूर बनने को मजबूर थे। मेरे मन में यह विचार आया कि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को उनके अपने गांव में नौकरियां कैसे मिले। मैंने 2011 में कहानी/पटकथा लिखी, धीरे-धीरे कहानी विकसित हुई और 3-4 साल तक इसके लिए पैसे ढूंढता रहा, लेकिन दुर्भाग्य से बिहार में कोई नहीं मिला। शुरूआती काम के लिए नितिन चंद्र का साथ उनकी बहन नीतू चंद्र ने दिया और लोकेशन और कास्टिंग का काम शुरू हुआ। साथ में क्राउड फंडिंग भी शुरू हुई लेकिन ये फिल्म बनाने के लिए नाकाफी था। मैं भाग्यशाली था कि सिंगापुर से समीर कुमार जी साथ आए और कुछ अन्य संसाधनों के साथ मैं फिल्म बना सका।

टोरंटो में भी हुई फिल्म की शूटिंग
आगे बात करते हुए निर्देशक कहते हैं कि इस फिल्म को बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि हम टोरंटो की सर्दियों में शूटिंग करना चाहते थे, लेकिन हमें नहीं पता था कि टोरंटो में सर्दियों का मतलब सामान्य दिनों में -35 से लेकर -10 तक का तापमान होता है। हमने किसी तरह टोरंटो की गलियों में और उनके मेट्रो के अंदर गुरिल्ला शूटिंग की। टोरंटो में बीते वो 7 दिन मेरे दिमाग में हमेशा के लिए छपे रहेंगे। मैं उन सड़कों पर चलता था, जहां सड़क के किनारे बर्फ का कीचड़ होता था। मैं कैमरा मैन जस्टिन चेम्बर्स का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने फिल्म की शूटिंग की। विश्व प्रसिद्घ नियाग्रा फॉल्स में शूटिंग करना एक अलग अनुभव था। हम आगे की शूटिंग के लिए मई के महीने में बिहार पहुंचे तो वहां का तापमान + 45 डिग्री था। भीषण गर्मी में 22 दिन शूटिंग चली।

बहुत खुशी का अनुभव था राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करना
इस कहानी में हम लोग जो चाहते थे उससे कोई समझौता नहीं किया। शूटिंग नेपाल के भी कुछ हिस्सों में हुई थी। बिहार के दरभंगा के अलावा पटना, सहरसा, सुपौल, मधुबनी और कटिहार में शूटिंग हुई। नीतू चंद्र की वजह से फिल्म में हरिहरन, सोनू निगम, सुरेश वाडकर, सब मैथिली में गाने आए। उत्साहित नितिन कहते हैं कि राष्ट्रीय पुरस्कार एक ऐसी चीज है, जिसे हर फिल्म निर्माता लेना चाहेगा। यह राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने का अनुभव बहुत खुशी का था। दरअसल हुआ यह कि फिल्म के डीवीडी पहुंचने की आखिरी तारीख 15 जनवरी थी, लेकिन नितिन कहते हैं कि किसी कारणवश 14 तारीख के रात को फिल्म भेजी गई। नितिन बताते हैं कि मुझे यकीन नहीं था कि यह पहुंची है या नहीं, लेकिन जब मैंने मार्च में राष्ट्रीय पुरस्कार के परिणामों को सुना, तब मुझे यकीन आया कि यह उनके कार्यालय तक पहुंच गई थी।

फिल्म 2 अक्टूबर bejod.in पर होगी
रिलीज फिल्म में मुख्य कलाकार क्रांति प्रकाश झा और अनुरिता झा हैं। पंकज झा, नेगेटिव लीड के लिए स्वाभाविक पसंद थे। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार जीतकर फिल्म रिलीज से पहले ही सुर्खियां बटोर चुकी है। फिल्म में हरिहरन, सोनू निगम, सुरेश वाडकर जैसे बॉलीवुड सिंगर्स ने मैथिली में गाने गाए हैं। फिल्म 2 अक्टूबर bejod.in पर रिलीज होगी।

Nitika