28 अक्टूबर को पहले चरण का चुनाव, मांझी- अनंत और श्रेयसी सहित कई दिग्गजों की अग्नि परीक्षा

10/26/2020 1:15:48 PM

 

पटनाः बिहार में विधानसभा चुनाव का रंग पूरी तरह से सिर चढ़कर बोल रहा है। विधानसभा के 71 सीटों पर 28 अक्टूबर को पहले चरण का चुनाव होगा। पहले चरण के चुनाव के लिए दाखिल नामांकन पत्रों की जांच और नाम वापस लिए जाने के बाद अब कुल 1 हजार 66 उम्मीदवार रह गए हैं। पहले चरण में होने वाले चुनाव में किस्मत आजमाने वाले 319 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। पहले चरण की हॉट सीटों में जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। आइए एक नजर डालते हैं पहले चरण की हॉट सीट पर।

गया जिले की इमामगंज सीट पर सियासी समीक्षकों की नजरें गड़ीः-
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी खुद इमामगंज से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। मांझी यहां से दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। मांझी के खिलाफ आरजेडी से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ताल ठोक रहे हैं। यहां से उदय नारायण चौधरी जेडीयू की टिकट पर 2000 से 2015 तक लगातार 4 बार विधायक रहे हैं। पिछले चुनाव में भी मांझी और चौधरी के बीच मुकाबला हुआ था। महागठबंधन से नाता तोड़कर जीतनराम मांझी चुनाव से ऐन पहले एनडीए में शामिल हुए थे। इस मुकाबले में जीतनराम मांझी की पूरी सियासी साख दांव पर लगी है। चुनावी नतीजे ही बताएंगे कि मांझी अपनी सियासी हैसियत का कितना विस्तार कर पाएंगे।

पहले चरण के चुनाव में मांझी के साथ उनके परिवार के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव परः-
बाराचट्टी सीट से जीतनराम मांझी की समधिन ज्योति देवी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के टिकट से मैदान में उतरी हैं। उनके खिलाफ आरजेडी ने समता देवी को चुनावी मैदान में उतारा है। समता देवी मौजूदा समय में यहां से विधायक हैं। वहीं जीतनराम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी मखदुमपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में जीतनराम मांझी को केवल अपनी ही सीट नहीं जीतनी बल्कि उनके कंधों पर अपने परिवार के उम्मीदवारों को भी जीत दिलाने की जिम्मेदारी है।

गया से बीजेपी के कैंडिडेट प्रेम कुमार की भी किस्मत दांव पर लगी है। प्रेम कुमार लगातार 6 चुनाव जीत चुके हैं और नीतीश सरकार में लगातार मंत्री भी रहे हैं। प्रेम कुमार की साख एक बार फिर से दांव पर लगी है। वहीं दिनारा से मंत्री जयकुमार सिंह भी जेडीयू की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसी सीट पर बीजेपी से बगावत कर राजेंद्र सिंह लोजपा के टिकट पर उन्हें चुनौती दे रहे हैं, तो कहलगांव से कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद मुकेश भी किस्मत आजमा रहे हैं। सदानंद सिंह बिहार में कांग्रेस पार्टी के अजातशत्रु माने जाते हैं। इस बार उनके कंधे पर बेटे शुभानंद मुकेश की चुनावी नैया पार करवाने की बड़ी जिम्मेदारी है।

पहले चरण के चुनाव में बाहुबली नेता अनंत सिंह की साख भी दांव परः-
मोकामा बिहार का चर्चित विधानसभा क्षेत्र रहा है। यहां से बाहुबली अनंत सिंह लगातार चुनाव जीतते आए हैं। उनके भाई भी यहां से विधायक रह चुके हैं। इस बार बदले सियासी समीकरण के तहत अनंत सिंह आरजेडी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। चुनावी नतीजों से पता चलेगा कि छोटे सरकार किस तरह से बिहार के बड़े सरकार यानी नीतीश कुमार के कैंडिडेट को टक्कर देते हैं। वहीं लखीसराय सीट से नीतीश सरकार के मंत्री विजय कुमार सिन्हा बीजेपी कैंडिडेट हैं। पहले चरण में उनकी भी प्रतिष्ठा दाव पर है।

औरंगाबाद से एक बार फिर रामाधार सिंह बीजेपी के टिकट पर मैदान में लगा रहे दम:-
औरंगाबाद के ही रफीगंज विधानसभा सीट पर भी लोगों की निगाहें टिकी हैं। रफीगंज से जेडीयू ने बड़े माओवादी नेता रामाधार सिंह के बेटे अशोक सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। अशोक सिंह मौजूदा विधायक हैं। अशोक सिंह के पिता भाकपा माओवादी की गोरिल्ला आर्मी से जुड़े थे। वहीं गोल्डन गर्ल श्रेयसी सिंह की वजह से जमुई विधानसभा सीट हॉट बनी हुई है। दरअसल, बांका के पूर्व सांसद दिग्गविजय सिंह और पुतुल कुमारी की बेटी और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित श्रेयसी सिंह को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं, नरेन्द्र सिंह के बेटे और पूर्व विधायक अजय प्रताप भी बागी होकर रालोसपा से मैदान में हैं। यहां से आरजेडी नेता जयप्रकाश नारायण यादव के भाई और विधायक विजय प्रकाश भी चुनाव लड़ रहे हैं। तीनों राजनीतिक घरानों के सदस्य के चुनावी मैदान में उतरने के कारण जमुई सीट काफी हॉट हो गया है। वहीं जाप से शमशाद के चुनाव मैदान में आने से मुकाबला चतुष्कोणीय होने की संभावना है।

चकाई विधानसभा सीट पर भी चुनाव बेहद दिलचस्प होने की संभावनाः-
चकाई से जेडीयू ने विधान पार्षद संजय प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है। नरेन्द्र सिंह के बेटे और पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह जेडीयू से बागी होकर निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। सुमित के दादा, पिता और भाई यहां से विधायक रहे हैं। पिछले कई दशकों से इस परिवार का चकाई क्षेत्र पर मजबूत पकड़ रहा है। पिछले 2 बार से सुमित चकाई विधानसभा से चुनाव लड़कर मजबूत कैंडिडेट होने का एहसास करवाया है। इसलिए उनके मैदान में आने से एनडीए की परेशानी बढऩी तय है।

सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र में जेडीयू से बागी होकर सबसे ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां से चार बार विधायक रहे रामेश्वर पासवान और पूर्व जिला अध्यक्ष शिवशंकर चौधरी भी शामिल हैं। इसके अलावे सांसद ललन सिंह के नजदीकी सिंधू पासवान ने भी ताल ठोंक दिया है। लोजपा से रविशंकर पासवान के टिकट मिलने से सुभाष पासवान बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। इसलिए यहां बहुकोणीय मुकाबला होना तय माना जा रहा है। वहीं दिनारा विधानसभा से नीतीश कुमार के मंत्री जयकुमार सिंह जेडीयू की टिकट पर मैदान में हैं। इसी सीट पर बीजेपी से बगावत कर राजेंद्र सिंह लोजपा उम्मीदवार हैं। एनडीए से अलग होकर चिराग पासवान की पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ रही है। सबसे खास बात ये है कि बीजेपी या जदयू से जो नेता बगावत कर रहे हैं। वह एलजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इस क्रम में सबसे ज्यादा बीजेपी के नेता एलजेपी से चुनावी मैदान में हैं।

पहले चरण की इन सभी सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प दिख रहा है। ज्यादातर सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। अब चुनावी नतीजों से ही पता चलेगा कि किस दिग्गज नेता पर जनता का गुस्सा बरसता है और किस पर जनता का प्यार।

Nitika