पारंपरिक सोहराई कला को लोकप्रिय बनाने वाले जस्टिन इमाम का निधन, 49 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

Sunday, Jan 14, 2024-12:08 PM (IST)

Hazaribagh: झारखंड की पारंपरिक सोहराई और खोवर कला के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जस्टिन इमाम का बीते शनिवार को निधन हो गया। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित बुलु इमाम के बड़े बेटे जस्टिन का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

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दीपुगढ़ा आवास पर जस्टिन इमाम का हुआ निधन
49 वर्षीय जस्टिन का हजारीबाग में उनके दीपुगढ़ा आवास पर शनिवार अपराह्न लगभग 3 बजे निधन हुआ। शोक संतप्त पिता ने कहा कि उनके बड़े बेटे का अंतिम संस्कार हजारीबाग कब्रिस्तान में हुआ। पिता ने कहा कि ‘‘जस्टिन के प्रयासों के कारण ही सोहराई और खोवर चित्रकला को नये संसद भवन की दीवारों में जगह मिली।'' जस्टिन ने आदिवासी कला और कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे।

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पद्मश्री से सम्मानित पर्यावरणविद बुलु इमाम के पुत्र थे
 जस्टिन इमाम
बता दें कि जस्टिन ने झारखंड की सोहराई और कोहबर पेंटिंग को जीआई टैग दिलाने और वैश्विक मंचों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। वह पद्मश्री से सम्मानित पर्यावरणविद बुलु इमाम के पुत्र थे। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके काम की “मन की बात” में सराहना की थी। हजारीबाग टाउन रेलवे स्टेशन में उनके प्रयास से की गई सोहराई पेंटिंग को अनुकरणीय कहा था। वह विरासत नामक संस्था से जुड़े थे और देश-विदेश के कई शोधकर्ताओं के लिए मार्गदर्शक थे। वहीं, उनके निधन पर विभिन्न प्रांतों के साथ जापान, फ्रांस, इंग्लैंड के उनके जानने वालों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।। 


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Khushi

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