West Bengal Election... हावड़ा की 7 सीटों पर दीदी के किले में सेंध लगाना है मुश्किल

4/6/2021 10:22:09 AM

 

कोलकाता(विकास कुमार): पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 31 विधानसभा सीटों पर वोटिंग जारी है। दक्षिण 24 परगना जिले की 16 सीटों, हावड़ा की 7 सीटों और हुगली के 8 सीटों पर मतदान जारी है। हावड़ा जिले की 16 सीटों में से 7 सीट पर मतदान 6 अप्रैल को जारी है। 2016 के विधानसभा चुनाव में हावड़ा जिले की 16 में से 15 सीट तृणमूल कांग्रेस के खाते में गई थी। हावड़ा जिले की 16 सीटों में इस बार दो चरणों मे चुनाव होना है।

परंपरागत तौर पर हावड़ा जिला तृणमूल कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है। बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए पूरी ताकत झोंकी है। तृणमूल कांग्रेस की सरकार में हावड़ा जिले से 4 नेताओं को मंत्री बनाया गया था, लेकिन विधानसभा चुनाव से ऐन पहले टीएमसी के 4 में से 3 मंत्री बीजेपी में शामिल हो गए थे। लक्ष्मी रतन शुक्ला और राजीब बनर्जी को बीजेपी में शामिल करवा कर भगवा पार्टी ममता दीदी के किले में सेंध लगाने की कोशिश की है। बीजेपी के लिए हावड़ा में राजीब बनर्जी सबसे बड़ी उम्मीद की किरण हैं। मेदिनीपुर में शुभेंदु अधिकारी की जो अहमियत बीजेपी के लिए है वही महत्व हावड़ा में राजीब बनर्जी की है। हावड़ा में राजीब बनर्जी की जड़ें मजबूत मानी जाती हैं। बनर्जी इस बार हावड़ा की दोमजुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, हालांकि दोमजुर सीट पर मतदान तीसरे चरण में नहीं हो रहा है। वहीं तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि राजीब बनर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पीठ में छूरा घोंपा है, लेकिन बीजेपी को उम्मीद है कि दोमजुर के अलावा हावड़ा की 15 विधानसभा सीटों पर भी बनर्जी का असर दिखाई देगा।

वहीं हावड़ा में 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को जीत मिली थी। यहां से तृणमूल कांग्रेस के कैंडिडेट प्रसूण बनर्जी ने 5 लाख 76 हजार 711 वोट हासिल कर बीजेपी को हराया था। वहीं बीजेपी के कैंडिडेट रंतिदेव सेनगुप्ता को 4 लाख 73 हजार 16 वोट मिला था। सीपीएम कैंडिडेट सुमित्रो अधिरकारी ने हावड़ा सीट पर 2019 में 1 लाख 5 हजार 547 वोट हासिल किया था तो कांग्रेस की टिकट पर शुभ्रा घोष ने 32 हजार 107 वोट हासिल किया था। साफ है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हावड़ा सीट पर टीएमसी ने जीत हासिल किया था। गौर किया जाए तो इस जिले में संयुक्त मोर्चा भी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा सकती है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से सीपीएम और कांग्रेस ने कुल मिलाकर 1 लाख 37 हजार 654 वोट हासिल किया था। वहीं इस बार फुरफुरा शरीफ की वजह से संयुक्त मोर्चा को मुस्लिम वोट का भी एक हिस्सा मिल सकता है। 2019 के इन आंकड़ों के हिसाब से भी ये तय है कि हावड़ा जिले की विधानसभा सीटों पर टीएमसी को पीछे छोड़ना बीजेपी के लिए आसान सौदा नहीं है।

वहीं एक अनुमान के मुताबिक हावड़ा में मुस्लिमों की आबादी 26.2 फीसदी है तो हिंदूओं की आबादी 72.9 फीसदी है। बीजेपी को यहां पोलराइजेशन की उम्मीद है। हावड़ा जिले में बंगाली भाषी आबादी के अलावा हिंदी भाषी लोगों की अच्छी खासी मौजूदगी है, लेकिन बाग्ला भाषी आबादी और हिंदी भाषी लोगों में एक स्पष्ट विभाजन है। यही वजह है कि हावड़ा में तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी पर भारी पड़ सकती है, क्योंकि बांग्ला भाषी समाज और मुस्लिम समाज मिलकर तृणमूल के पाले में खड़ा हो सकता है। वहीं बीजेपी की ज्यादा उम्मीद अनुसूचित जाति और हिंदी भाषी वोटरों पर टिकी हुई है। अगर बीजेपी बांग्ला भाषी और हिंदी भाषी लोगों के बीच संतुलन नहीं बना पाई तो यहां से तृणमूल का पलड़ा भारी होना तय माना जा रहा है। वहीं हावड़ा में भी अंफान दुर्नीति, भ्रष्टाचार,बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दे वोटिंग पैटर्न को प्रभावित कर रहे हैं।

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Nitika