West Bengal Election... दक्षिण 24 परगना की 16 सीटों पर दीदी को दादा की कड़ी चुनौती

4/5/2021 12:27:01 PM

 

कोलकाता(विकास कुमार): पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की नज़र टिकी हुई है। 8 चरणों में पश्चिम बंगाल में 294 सीट पर चुनाव होना है। पश्चिम बंगाल के 8 में से 2 चरण के विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। वहीं तीसरे चरण में पश्चिम बंगाल के 31 विधानसभा सीटों पर चुनाव जारी है। तीसरे चरण में दक्षिण बंगाल के 31 विधानसभा सीटों पर वोटिंग जारी है। दक्षिण बंगाल के 3 जिलों में 6 अप्रैल को 31 सीटों पर शाम साढ़े बजे तक मतदान होगा। अभी दक्षिण 24 परगना जिले की 16 सीटों, हावड़ा की 7 सीटों और हुगली के 8 सीटों पर मतदान जारी है। इस चरण में अलग अलग पॉलिटिकल पार्टियों के 205 कैंडिडेट चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं तीसरे चरण के चुनाव के लिए दक्षिण बंगाल के 3 जिलों में 10 हजार 871 बूथ बनाए गए हैं। तीसरे चरण के चुनाव में पहले 2 चरणों की तरह ही वोटरों में जबरदस्त उत्साह का माहौल देखा जा रहा है।

तीसरे चरण में कई बड़े सियासी दिग्गजों की किस्मत दांव पर लगी है। बरुईपुर पश्चिम से विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी टीएमसी कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कैनिंग पूर्व से टीएमसी के दिग्गज नेता सौकत मोल्ला चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा डायमंड हार्बर से दीपक हाल्दार की साख भी दांव पर लगी है। दीपक हाल्दार के सामने डायमंड हार्बर में अभिषेक बनर्जी की सियासी ताकत और वर्चस्व से पार पाने की चुनौती है। वहीं संयुक्त मोर्चा 2 सीटों पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है। रायदिघी से संयुक्त मोर्चा की कैंडिडेट कांति गांगुली और बासंती से सुभाष नस्कर मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं।

दक्षिण 24 परगना जिला दक्षिण बंगाल का हिस्सा है। इस जिले में हिंदूओं की आबादी 63.2 फीसदी है तो मुस्लिमों की आबादी 35.6 फीसदी है। दक्षिण 24 परगना जिले की ज्यादातर सीटों पर चुनावी नतीजे मुस्लिम और अनुसूचित जाति के मतदाता ही तय करते हैं। इसलिए टीएमसी किसी भी सूरत में अपने मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट रखना चाहती है। इसके लिए ममता बनर्जी खुले मंच से भी अपील कर चुकी हैं। वहीं टीएमसी के पोलराइजेशन पॉलिटिक्स की काट के लिए बीजेपी ने काउंटर पोलराइजेशन के लिए पूरी ताकत झोंकी हैं। अपने सियासी मकसद को हासिल करने के लिए दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने भड़काउ बयानबाजी भी की है। वहीं काउंटर पोलराइजेश के लिए बीजेपी ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। मतुआ या नामशूद्र मतदाताओं को रिझाने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक रखी है। सीएए का मुद्दा मतुआ समाज के दिल से जुड़ा हुआ है। बीजेपी ने सत्ता में आते ही सीएए लागू करने का वादा किया है। इसके अलावा बीजेपी ने मतुआ समाज को रिझाने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं। बांग्लादेश की यात्रा के दौरान मतुआ समाज की आराध्य देवी जेशोरेश्वरी मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूजा करने को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि इसके बाद से ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बेहद तीखा हमला किया है। ममता दीदी ने ये दावा किया कि जेशोरेश्वरी मंदिर में जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतुआ समाज को रिझाने की कोशिश की है। वहीं अगर जयनगर इलाके के सामाजिक समीकरण की बात करें तो यहां पौंद्र क्षत्रिय जाति डोमिनेट करती है। गौरतलब है कि बंगाल में पौंद्र क्षत्रिय अनुसूचित जाति में आते हैं। बंगाल की राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोर शोर से हो रही है कि पौंड क्षत्रिय बीजेपी को समर्थन देने का मूड बना चुके हैं। वहीं डायमंड हार्बर इलाके के मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका निर्णायक है। इसके अलावा ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का भी इस इलाके में वर्चस्व कायम है। बीजेपी कैंडिडेट दीपक हाल्दर के लिए अभिषेक बनर्जी के वर्चस्व को चुनौती देना बेहद मुश्किल लग रहा है।

अब बात करते हैं दक्षिण 24 परगना जिले की बड़े चुनावी मुद्दों पर, इस बार दक्षिण 24 परगना जिले में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा बन कर उभरा है। अगर आपको याद हो तो अंफान चक्रवात ने दक्षिण 24 परगना जिले में कहर बरपाया था, लेकिन इस दौरान टीएमसी सरकार पर सही तरीके से लोगों की मदद मुहैया नहीं करने का आरोप लगा था। यही वजह है कि दक्षिण 24 परगना के इलाके में आम लोग अंफान दुर्नीति का आरोप ममता बनर्जी के नेताओं पर लगाते नज़र आते हैं। इस इलाके में अंफान दुर्नीति की वजह से टीएमसी की लोकप्रियता में भारी कमी आई है। वहीं बीजेपी आम लोगों को साफ सुथरी सरकार देने का वादा कर उन्हें अपने पाले में लाने की चाल चल रही है। इसके अलावा सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार भी दक्षिण 24 परगना जिले के लोगों की एक बड़ी समस्या है। बताया जाता है कि तृणमूल के निचले स्तर के कैडरों ने सरकारी योजनाओं में तोलाबाजी या भ्रष्टाचार की सारी सीमाओं को पार कर दिया है। इसके अलावा युवाओं में बेरोजगारी के ऊंचे स्तर का खामियाजा भी तृणमूल कांग्रेस के कैंडिडेट को इस जिले में भुगतना पड़ सकता है। दक्षिण 24 परगना में राजनीतिक हिंसा की सूरत बड़ी भयावह है। ऐसे में राजनीतिक हिंसा भी आम लोगों के लिए एक चुनावी मुद्दा बन गया है। वहीं तब के पूर्वी पाकिस्तान और अब के बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों के लिए सीएए एक बड़ा मुद्दा है। माना जाता है कि बांग्लादेश से आए ज्यादातर हिंदू शरणार्थी सीएए की वजह से बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं।

दक्षिण 24 परगना के इन 16 सीटों पर टीएमसी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला चल रहा है। लेफ्ट-कांग्रेस और फुरफुरा शरीफ ने इन सीटों के चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की पूरी कोशिश की है, लेकिन इस कोशिश में वे केवल दो सीटों पर सफल आते नजर आ रहे हैं।

Content Writer

Nitika