West Bengal Election... पूर्वो बर्धमान में क्या सुनील मंडल करेंगे बीजेपी का बेड़ा पार?

4/17/2021 10:52:10 AM

कोलकाता(विकास कुमार): पश्चिम बंगाल में पांचवें चरण के तहत 6 जिलों की 45 सीटों पर 17 अप्रैल को वोटिंग हो रही है। पूर्वो वर्धमान जिले की 8 विधानसभा सीटों पर भी पांचवें चरण में ही मतदान जारी है। खंडघोष, बर्दवान दक्षिण, रैना, जमालपुर, मोंटेश्वर, कलना, मेमरी और बर्दवान उत्तर सीट पर मतदान जारी है। आइए इन 8 विधानसभा सीट के प्रमुख कैंडिडेट पर डालते हैं एक नज़र।
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पूर्वो वर्धमान जिले में हिंदुओं की आबादी 77.9 फीसदी है। वहीं मुस्लिमों की आबादी भी पूर्वो वर्धमान जिले में 20.7 फीसदी वोटर है। पूर्वो वर्धमान जिले में चुनावी जीत हार तय करने में अनुसूचित जाति-जनजाति के वोटरों के पास है। पूर्वो वर्धमान जिले में अनुसूचित जाति 27.4 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 6.3 फीसदी है। यानी पूर्वो वर्धमान जिले में अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटरों की आबादी 33.7 फीसदी है। पूर्वो वर्धमान में अगुरी, माहिष्य, घोष, भद्रलोक और बागड़ी जाति की अच्छी खासी आबादी है। साफ है कि इस बार अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटरों का झुकाव बीजेपी की तरफ ज्यादा है। वहीं मुस्लिम समाज कमोबेश तृणमूल कांग्रेस के साथ खड़ा नज़र आ रहा है।
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वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वो बर्धवान सीट पर तृणमूल कांग्रेस के कैंडिडेट सुनील कुमार मोंडल ने जीत हासिल की थी। सुनील कुमार मोंडल को 6 लाख 40 हजार 834 वोट हासिल किया था। वहीं बीजेपी के कैंडिडेट परेश चंद्र दास 5 लाख 51 हजार 523 वोट मिले थे। 45 फीसदी वोट के साथ सुनील कुमार मोंडल ने पूर्वो बर्धवान में बीजेपी को हरा दिया था, लेकिन बीजेपी ने 2019 के हार से सीख लेते हुए सुनील कुमार मोंडल को अपने पाले में कर लिया। सुनील कुमार मोंडल को बीजेपी ने अपने पाले में करवा कर पूर्वो बर्धवान के सियासी समीकरण को बदलने की कोशिश की है, क्योंकि 2019 में पूर्वो बर्धवान में बीजेपी ने 38 फीसदी वोट हासिल किया था। सुनील कुमार मोंडल को बीजेपी में शामिल करवा कर टीएमसी की बढ़त को पूर्वो बर्धवान में काटने की कोशिश की गई है।

वहीं सीपीएम,कांग्रेस और इंडियन सेकुलर फ्रंट के कैंडिडेट भी पूर्वो बर्धमान में मजबूती से मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम और कांग्रेस कैंडिडेट ने करीब 15 फीसदी वोट हासिल किया था। इस लिहाज से पूर्वो बर्धमान में संयुक्त मोर्चा के कैंडिडेट को सिरे से नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।
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दस साल का एंटी इंनकंबैंसी, तोलाबाजी, कट मनी, बेरोजगारी और पलायन की समस्या पर बीजेपी के नेता ममता बनर्जी को घेर रही है। वहीं बीजेपी के तमाम बड़े नेता ममता सरकार पर 10 साल से तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में इस बार पोलराइजेशन और काउंटर पोलराइजेशन भी वोटिंग पैटर्न को प्रभावित कर रहा है। दीदी बनाम दादा, कमल का फूल बनाम तृणमूल में कांटे की टक्कर चल रही है। अब 2 मई को आने वाले नतीजे ही तय करेंगे कि जनता ने किसके सिर पर ताज रखा है।


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Nitika

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