Chhath 2024: लोक आस्था का महापर्व छठ कल से नहाय-खाय के साथ होगा शुरू, जानिए क्या है इस व्रत के नियम
Monday, Nov 04, 2024-11:54 AM (IST)
Chhath 2024: बिहार में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व कार्तिक छठ (Chhath 2024) कल से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन छठव्रती श्रद्धालु नर-नारी अंत:करण की शुद्धि के लिए कल नहाय-खाय के संकल्प के साथ नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू करेंगे। श्रद्धालुओं ने आज से ही पर्व के लिए तैयारियां शुरू कर दी है।
घर से घाट तक तैयारियां जोरों पर
महापर्व छठ को लेकर घर से घाट तक तैयारियां जोरों पर है। व्रती घर की साफ-सफाई के साथ व्रत के लिए पूजन सामग्री खरीदने में जुट गए हैं। कोई व्रती अपने घर में नहाय-खाय के लिए चावल चुनने में लगी हैं तो कोई छत पर गेहूं सुखाने में लगी हैं। छठ व्रतियों के लिए गंगा घाटों को साफ-सुथरा और सजाने के काम में विभिन्न इलाकों की छठ पूजा समिति और स्वयं सेवक भी लगे हुए हैं। इसके साथ ही गंगा नदी की ओर जाने वाले प्रमुख मार्गों पर तोरण द्वारा बनाए जा रहे हैं और पूरे मार्ग को रंगीन बल्बों से सजाया जा रहा है।
महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आए तब तक पानी पीते हैं। इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। लोक आस्था के इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। व्रतधारी डूबते हुए सूर्य को फल और कंदमूल से अर्घ्य अर्पित करते हैँ।
अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हैं व्रतधारी
महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं। भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं। परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किए जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है और न ही मंत्रोचारण की कोई जरूरत है।