तीसरे चरण में 12 मंत्रियों की साख दांव पर, मुकेश सहनी-लवली आनंद और सुभाषिनी की अग्नि परीक्षा

11/6/2020 3:50:24 PM

 

पटनाः बिहार में तीसरे चरण के रण में कुल 78 सीटों पर सात नवंबर को मतदान है। इस चरण में मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, सहरसा और वैशाली की 22 सीटें पर भी चुनाव है। 2015 के चुनाव में इन 22 सीटों में से आरजेडी को 9, जेडीयू और बीजेपी को छह-छह और निर्दलीय को एक सीट पर जीत मिली थी। तीसरे चरण के चुनाव में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी सहित कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी, शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव की किस्मत का फैसला भी जनता कर देगी। इसके अलावा सहरसा सीट पर लवली आनंद की सियासी साख भी इस बार दांव पर लगी है।

तीसरे चरण की 78 सीटों पर शनिवार को होने वाले चुनाव में एक हजार दो सौ 8 उम्मीदवार मैदान में हैं। यह चरण नीतीश कुमार के लिए सबसे खास है, क्योंकि उनकी कैबिनेट के सबसे ज्यादा मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, विपक्ष के कद्दावर नेता अब्दुलवारी सिद्दिकी और रमई राम की किस्मत का फैसला इसी चरण में होना है। तीसरे चरण में एक दर्जन मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें 8 जेडीयू और चार बीजेपी कोटे के मंत्री हैं।

अंतिम चरण में स्पीकर विजय कुमार चौधरी की साख भी दांव पर लगी है। वे समस्तीपुर जिले के सरायरंजन सीट पर जेडीयू के टिकट पर मैदान में हैं। विजय चौधरी के खिलाफ महागठबंधन की ओर से अरविंद कुमार सहनी ताल ठोक रहे हैं। 2010 और 2015 के चुनाव में लगातार 2 बार चौधरी ने अच्छी खासी मार्जिन से जीत हासिल की है। वक्त ही बताएगा कि विजय कुमार चौधरी इस चुनाव में जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे या नहीं।

जेडीयू कोटे के कई मंत्री तीसरे चरण में चुनावी अखाड़े में किस्मत आजमा रहे हैं। सुपौल से बिजेंद्र प्रसाद यादव जेडीयू की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बिजेंद्र प्रसाद यादव लगातार 30 वर्षों से चुनाव जीतते आ रहे हैं। बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे बिजेंद्र प्रसाद यादव को सीएम नीतीश कुमार का बेहद करीबी सहयोगी माना जाता है। उन्हें पराजित करना विरोधियों के लिए तीन दशक से एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। महागठबंधन की ओर से कांग्रेस ने यहां मिन्नतुल्लाह रहमानी को अपना प्रत्याशी बनाया है। महागठबंधन की तरफ से मुस्लिम कैंडिडेट देने से यादव, राजपूत और ब्राह्मणों का एकमुश्त वोट बिजेंद्र प्रसाद यादव के खाते में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।

वहीं मधेपुरा के आलमनगर से नरेंद्र नारायण यादव, सिंघेश्वर से रमेश ऋषिदेव और सिकटा से खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। ये तीनों जेडीयू कोटे से सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में इन तीनों की भी सियासी साख इस चरण में दांव पर लगी है। इसके अलावा जेडीयू कोटे से मंत्री लक्ष्मेश्वर राय लौकहा से चुनावी मैदान में हैं। वहीं रूपौली सीट से बीमा भारती विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं तो दरभंगा जिले के बहादुरपुर से मदन सहनी पर जनता अपनी राय जाहिर करेगी। वहीं कल्याणपुर सुरक्षित सीट से महेश्वर हजारी चुनाव लड़ रहे हैं। इन तीनों की सियासी साख का लिट्मस टेस्ट अंतिम चरण के चुनाव में होना तय माना जा रहा है।

वहीं, बीजेपी कोटे के मंत्रियों में मोतिहारी से प्रमोद कुमार, मुजफ्फरपुर से सुरेश शर्मा, बेनीपट्टी से विनोद नारायण झा और बनमनखी से कृष्ण कुमार ऋषि चुनावी अखाड़े में किस्मत आजमा रहे हैं तो प्राणपुर सीट से बीजेपी कोटे के दिवंगत मंत्री विनोद सिंह की पत्नी निशा सिंह बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रह हैं, जबकि कपिलदेव कामत की बहू मीना कामत मधुबनी जिले के बाबूबरही से जेडीयू की प्रत्याशी हैं। चुनावी नतीजे ही तय करेंगे कि नीतीश सरकार के मंत्रियों से जनता खुश है या नाराज।

वहीं सिमरी बख्तियारपुर सीट से वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश साहनी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यहां राजद से युसुफ सलाउद्दीन सहित कुल 22 उम्मीदवार मैदान में हैं। वहीं महिषी सीट से जदयू के गुंजेश्वर शाह, राजद के गौतम कृष्ण चुनाव लड़ रहे हैं। राजद ने यहां से अपने मौजूदा विधायक अब्दुल गफूर को इस बार टिकट नहीं दिया है। वहीं आरजेडी के कद्दावर नेता अब्दुलवारी सिद्दिकी केवटी सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के कैंडिडेट मुरारी मोहन झा से है। हायाघाट से लालू प्रसाद के बेहद खास कहे जाने वाले भोला यादव राजद के टिकट पर मैदान में हैं, जबकि भाजपा से डॉक्टर रामचंद्र प्रसाद सहित कुल 10 उम्मीदवार यहां टक्कर देने को तैयार हैं। दरभंगा से भाजपा के मौजूदा विधायक संजय सरावगी, राजद से हयाघाट के मौजूदा विधायक अमरनाथ गामी सहित 19 लोग मैदान में हैं।

तीसरे चरण के चुनाव में दलित नेता रमई राम की अग्निपरीक्षा भी होनी है. वो बोचहां सीट से आरजेडी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। उनके सामने बोचहा से बेबी कुमारी ने पिछली बार निर्दलीय चुनाव जीता था। इस बार बेबी कुमारी मैदान में नहीं हैं। एनडीए की तरफ से यहां वीआईपी ने मुसाफिर पासवान को टिकट दिया है।

सहरसा सीट पर लवली आनंद राजद के टिकट पर मैदान में हैं। पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली के मुकाबले बीजेपी के आलोक रंजन ताल ठोक रहे हैं। यहां कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं तो सोनबर्षा सीट से जदयू के मौजूदा विधायक रत्नेश सदा एक बार फिर से किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस ने यहां तारिणी ऋषिदेव पर दांव लगाया है। वहीं पूर्व मंत्री इलियास हुसैन की पुत्री आसमां परवीन जेडीयू के टिकट से महुआ से खड़ी हैं। उनका मुकाबला आरजेडी के कैंडिडेट मुकेश रौशन से है।

वहीं, जाले से कांग्रेस उम्मीदवार मंसूर अहमद हैं, जो एएमयू छात्र संघ अध्यक्ष रहे थे, चुनावी मैदान में हैं। मंसूर अहमद ने जिन्ना के समर्थन में एक विवादित बयान दिया था, जिसका खामियाजा उन्हें यहां से उठाना पड़ सकता है। मंसूर अहमद का मुकाबला बीजेपी के विधायक जीवेश कुमार से है। जीवेश यहां लगातार दो बार से विधायक हैं।

इसके अलावा शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव की परीक्षा बिहारीगंज सीट पर है, उन्हें इसी चरण में चुनावी परीक्षा से होकर गुजरना है। सुभाषिणी यादव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। इस बार सुभाषिणी के पिता शरद यादव की सियासी साख भी दांव पर है। अब चुनावी नतीजे ही बताएंगे कि सुभाषिणी यादव कामयाब हो पाएंगी या नहीं।

अंतिम चरण के चुनाव में इन दिग्गज नेताओं के प्रदर्शन से बिहार के चुनावी नतीजों की दशा-दिशा तय होगी। एनडीए और महागठबंधन अपने लड़ाके उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक चुका है। अब अंतिम फैसला जनता जर्नादन के हाथों में है और जनता की अदालत का फैसला तो 10 नवंबर को ही पता चल पाएगा।
 

Nitika