West Bengal Election...पश्चिम बंगाल की 30 सीटों पर हुआ 82.69 फीसदी वोटर टर्नआउट

3/28/2021 12:26:42 PM

 

कोलकाताः पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 30 सीटों पर बंपर वोटिंग हुई है। चुनाव आयोग ने पहले चरण के मतदान में हुए वोटर टर्न आउट का ऑफिशयल आंकड़ा जारी कर दिया है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 30 सीटों पर औसत 82.69 फीसदी वोटर टर्नआउट दर्ज किया गया है।

पहले चरण में पांच जिले की 30 विधानसभा सीटों पर 191 कैंडिडेट चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। चुनाव आयोग ने पांच जिले की 30 विधानसभा सीटों पर वोटर टर्नआउट के आंकड़े जारी कर दिया है। इस आंकड़े के मुताबिक बांकुरा में 84.27 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है। वहीं झारग्राम जिले में 84.74 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है तो पश्चिमी मेदिनीपुर में 84.03 फीसदी मतदान हुआ है। पूर्वी मेदिनीपुर में 85.33 फीसदी का वोटर टर्न आउट हुआ है। पांच जिले में सबसे ज्यादा वोटर टर्नआउट पूर्वी मेदिनीपुर में ही हुआ है। वहीं पुरुलिया जिले में 78.28 फीसदी वोटर टर्नआउट हुआ। देखा जाए तो पांच जिले में सबसे कम वोटर टर्नआउट पुरुलिया जिले में ही दर्ज किया गया है।
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वहीं पहले चरण के कुल 30 विधानसभा सीट में सबसे ज्यादा वोटर टर्नआउट खेजुरी विधानसभा सीट पर देखने को मिला है। खेजुरी विधानसभा सीट पर 88.65 फीसदी का रिकार्ड वोटर टर्नआउट देखने को मिला है। वहीं केशियारी विधानसभा सीट 88.50 फीसदी का मतदान दर्ज किया गया। पश्चिम बंगाल के पहले चरण के मतदान में वोटरों में अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने का भारी उत्साह नजर आया है। वैसे तो बंगाल में हर चुनाव में ही भारी मतदान होता है। आमतौर पर ऐसा कहा जाता है कि हाई वोटिंग को सत्ताधारी दल के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी लहर से जोड़ा जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल के मतदाताओं ने इस ट्रेंड को कई बार गलत साबित कर दिया है। इसलिए हाई वोटर टर्न आउट से बंगाल में किसी तरह का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। अगर बंगाल के चुनावी इतिहास पर नजर डालते हैं तो 2001 में यहां 75.23 फीसद वोटिंग हुई थी और नतीजा सत्ताधारी लेफ्ट मोर्चा के पक्ष में ही रहा था इसी तरह 2006 के विधानसभा चुनाव से पहले ममता ने बंगाल में अपने पैर जमाने की काफी कोशिश की थी, लेकिन लेफ्ट मोर्चा अपनी सत्ता को बचाने में कामयाब रही थी।

2006 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में 81.95 फीसद मतदान हुआ था और सत्ता में वाममोर्चा वापस आ गई थी, लेकिन 2011 के चुनाव में ममता दीदी ने वाममोर्चे के 34 सालों के शासन का अंत कर दिया था। 2011 के विधानसभा चुनाव में 84.46 फीसद वोट पड़े थे। वहीं 2016 में ममता बनर्जी के खिलाफ एक मुहिम चलाई गई थी और इस चुनाव में पश्चिम बंगाल में 82.96 फीसद वोटिंग दर्ज की गई थी, लेकिन आखिरकार जीत तृणमूल को ही मिली थी। इसी तरह पश्चिम बंगाल के पहले चरण में 30 सीटों पर औसत 82.69 फीसदी वोटर टर्नआउट दर्ज किया गया है। हालांकि 2016 की तुलना में पहले चरण में थोड़ा कम मतदान दर्ज किया गया है। हो सकता है कि बाकी चरणों में इस अंतर को बंगाल की जनता पाट देगी। वैसे 2 मई को ही पता चल पाएगा कि ये बंपर वोटिंग किस पार्टी के पक्ष में है और किस पार्टी के विपक्ष में।
 


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Content Writer

Nitika

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