Bihar Monsoon Session: बिहार विधानसभा से एंटी पेपर लीक कानून ध्वनिमत से पारित

Wednesday, Jul 24, 2024-04:11 PM (IST)

 

पटनाः विधानसभा में मॉनसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को पेपर लीक और परीक्षा धोखाधड़ी को रोकने के उद्देश्य से एंटी-पेपर लीक कानून पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर इस दौरान विपक्ष हंगामा करता रहा और सदन से वॉक-आउट कर गया। नए कानून के तहत परीक्षा के पेपर लीक करने के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 10 साल तक की जेल और एक करोड़ तक का जुर्माना हो सकता है।

यह कानून व्यापक है, जो छात्रों, शिक्षकों और अन्य लोगों सहित सभी संबंधित पक्षों पर लागू होता है। सभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने जनहित के मद्देनजर उनकी ओर से दिए गए कार्यस्थगन प्रस्तावों को स्वीकार करने पर जोर दिया। हालांकि सभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने उन्हें उचित समय पर मुद्दे को उठाने का सुझाव दिया, जिस पर विपक्षी सदस्य पोस्टर और बैनर लेकर सदन के बीच में आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रश्नकाल के दौरान हस्तक्षेप करते हुए हंगामा कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर बैठने और ध्यान से उनकी बात सुनने को कहा। लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी मांगों के समर्थन में हंगामा करते रहे। कुमार ने कहा कि उन्होंने ही सभी दलों के नेताओं की सहमति और समर्थन से जाति आधारित सर्वेक्षण करवाया था। सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर एससी, ईबीसी और ओबीसी के लिए आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दी गई। उन्होंने केंद्र से राज्य के 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश पहले ही कर दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वेक्षण में 94 लाख गरीब परिवारों की जानकारी मिली है। उनकी सरकार ने प्रत्येक गरीब परिवार को सालाना दो लाख रुपए देना शुरू कर दिया है। उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर कहा कि इसके लिए उन्होंने वर्ष 2010 में आंदोलन शुरू किया था लेकिन तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना। उस समय उस सरकार में राष्ट्रीय जनता दल भी शामिल था। उन्होंने कहा कि उनके अनुरोध पर विचार करते हुए केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने विभिन्न स्तरों पर सहायता प्रदान की है और आगे भी करने को तैयार है। इसलिए, विपक्ष द्वारा इस मुद्दे पर मचाया जा रहा हंगामा अतार्किक और निरर्थक है क्योंकि राज्य की मांगों के संबंध में सब कुछ किया गया है।


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Nitika

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