Buxar Lok Sabha Seat: बक्सर में आनंद मिश्रा देंगे BJP को झटका, RJD कैंडिडेट सुधाकर सिंह भी कर सकते हैं कमाल

4/9/2024 6:00:34 PM

Buxar Lok Sabha Seat: बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक बक्सर लोकसभा सीट है। बक्सर को पूर्वांचल के रास्ते बिहार का द्वार कहा जाता है। प्राचीन काल में इसका नाम 'व्याघ्रसर' था। यहीं पर चौसा में शेरशाह ने मुगल शासक हुमायूं को पराजित किया था। 1764 में सुप्रसिद्ध बक्सर की लड़ाई भी यहीं लड़ी गई थी। कहा जाता है कि यहां गुरु विश्वामित्र के आश्रम में राम और लक्ष्मण की शुरुआती पढ़ाई हुई थी। 

राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यहां के लोग काफी सजग रहे हैं। इसका आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि आजादी के बाद 1952 के चुनाव में यहां की जनता ने निर्दलीय कमल सिंह को अपना सांसद चुना था। यहां तक कि दूसरी बार भी जनता ने निर्दलीय कमल सिंह को ही सांसद चुनकर दिल्ली भेजा तो 1962 में कांग्रेस के अनंत प्रसाद शर्मा सांसद चुने गए। 1967 में कांग्रेस के टिकट पर ही राम सुभाग सिंह सांसद बने। वहीं 1971 में अनंत प्रसाद शर्मा एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए लेकिन आपातकाल के बाद हुए 1977 के चुनाव में कांग्रेस इस सीट को बचा नहीं सकी और भारतीय लोकदल के टिकट पर रामानंद तिवारी सांसद बने। 



हालांकि, 1980 और 1984 में कांग्रेस के टिकट पर कमल कांत तिवारी सांसद चुने गए। 1989 और 1991 में कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया के टिकट पर तेज नारायण सिंह यहां से सांसद बने। इसके बाद 1996, 1998, 1999 और 2004 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लालमुनि चौबे सांसद चुने गए लेकिन 2009 में भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ रुका और राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर जगदानंद सिंह सांसद चुने गए। हालांकि 2014 में मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी ने फिर से वापसी की और अश्विनी कुमार चौबे यहां से सांसद चुने गए। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अश्विनी चौबे ने जीत हासिल की थी। 

बक्सर लोकसभा के तहत आती हैं विधानसभा की 6 सीटें 



गौरतलब है कि बक्सर लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें बक्सर जिले की ब्रह्मपुर, राजपुर, बक्सर और डुमरांव विधानसभा, कैमूर जिले की रामगढ़ विधानसभा और रोहतास जिले की दिनारा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 

एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 



2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट अश्विनी कुमार चौबे ने जीत हासिल की थी। चौबे ने 4 लाख 73 हजार 53 वोट हासिल किया था। वहीं आरजेडी कैंडिडेट जगदानंद सिंह ने 3 लाख 55 हजार 444 वोट लाकर दूसरा स्थान हासिल किया था तो बीएसपी कैंडिडेट सुशील कुमार सिंह ने 80 हजार 261 वोट लाकर तीसरा स्थान हासिल किया था। 

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 



अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अश्विनी कुमार चौबे ने 3 लाख 19 हजार 12 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था। वहीं RJD के जगदानंद सिंह 1 लाख 86 हजार 674 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि BSP के ददन यादव को 1 लाख 84 हजार 788 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 

लोकसभा चुनाव 2009 के नतीजे 



साल 2009 की बात करें तो  RJD के जगदानंद सिंह ने 1 लाख 32 हजार 614 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं BJP के लालमुनि चौबे 1 लाख 30 हजार 376 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि BSP के श्यामलाल सिंह कुशवाहा को 1 लाख 27 हजार 145 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 

लोकसभा चुनाव 2004 के नतीजे 

साल 2004 की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के लालमुनि चौबे ने 2 लाख 5 हजार 980 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं निर्दलीय ददन सिंह 1 लाख 51 हजार 114 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि RJD के शिवानंद तिवारी को 1 लाख 33 हजार 467 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 

बक्सर सीट पर यादव और ब्राह्मणों की बहुलता 
1 जून को बक्सर में लोकसभा चुनाव होना है। बीजेपी ने इस बार यहां से मिथिलेश तिवारी को टिकट दिया है तो आरजेडी ने यहां से सुधाकर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। साथ ही यहां से पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा के लोकसभा चुनाव लड़ने से बीजेपी कैंडिडेट मिथिलेश तिवारी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैसे बक्सर लोकसभा सीट पर यादव और ब्राह्मणों की बहुलता है। वहीं इस सीट पर राजपूत वोटरों की भी अच्छी खासी तादाद है। अनुसूचित जाति और अति पिछड़े वोटरों की भी यहां अहम भूमिका है।

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Ramanjot