अमित शाह ने सीमांचल दौरे में 'मिशन 2024' का किया शंखनाद, SSB अफसरों के साथ की बैठक

Saturday, Sep 24, 2022-06:19 PM (IST)

पटनाः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता गंवाने के बाद पहली बार बिहार आए अमित शाह का दो दिवसीय दौरा समाप्त हो गया है। सीमांचल दौरे में 'मिशन 2024' का शंखनाद करने के बाद अमित शाह शनिवार शाम दिल्ली रवाना हो गए। उन्होंने सीमांचल के कार्यकर्ताओं को 'मेरा बूथ सबसे मजबूत हर बूथ पर 10 यूथ' का स्लोगन दिया है। इससे पहले सुबह अमित शाह ने शहर के बूढ़ी काली मंदिर में करीब 15 मिनट तक पूजा-अर्चना की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई ने एक वीडियो साझा किया जिसमें शाह मंदिर में आरती करते और पुजारियों का आशीर्वाद लेते दिखाई देते हैं। प्राचीन काली मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसका निर्माण एक मुस्लिम नवाब द्वारा दान की गई भूमि पर किया गया है। 


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पंडितों का आशीर्वाद लेने के बाद शाह मंदिर से निकल गए। इसके बाद अमित शाह नेपाल बॉर्डर पर स्थित एसएसबी कैंप में विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पहुंचे। उन्होंने एसएसबी के अधिकारियों के साथ बैठक की। साथ ही जवानों की हौसला अफजाई की और उनके साथ लंच किया। अमित शाह ने फतेहपुर, पेकटोला, बेरिया, आमगाछी और रानीगंज बीओपी भवनों का उद्घाटन किया।


शुक्रवार शाम राज्य कोर समिति के साथ की बैठक 
बता दें कि अमित शाह शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच खगड़ा हवाई अड्डा से किशनगंज स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचे। इसके बाद गृहमंत्री ने विश्व हिंदु परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं एवं अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में बांग्लादेश घुसपैठ, मवेशी तस्करी एवं गौ रक्षा को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान उन्होंने विधान परिषद डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल को प्रदेश स्तर पर मवेशी तस्करी पर कमेटी गठन करने का निर्देश दिया।

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नीतीश-लालू की "जोड़ी" का ‘सूपड़ा साफ' हो जाएगाः शाह
इससे पहले अमित शाह ने पूर्णिया में आयोजित एक रैली में कहा कि नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की "जोड़ी" का 2024 के लोकसभा चुनावों में ‘सूपड़ा साफ' हो जाएगा और एक साल बाद, भाजपा राज्य विधानसभा चुनाव में अपने दम पर बहुमत हासिल करेगी। शाह ने आरोप लगाया, ‘‘2020 के विधानसभा चुनावों में कुमार की पार्टी द्वारा जीती गई सीटों की संख्या हमारी संख्या का लगभग आधा थी। भाजपा ने पूर्व में किये गए अपने वादे को पूरा करते हुए मुख्यमंत्री के रूप में उनका समर्थन करके बड़प्पन दिखाया। हालांकि, लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही प्रधानमंत्री पद की उनकी महत्वाकांक्षा उन पर हावी हो गई और उन्होंने हमारी पीठ में छुरा घोंप दिया।'' 

 

 


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Content Writer

Ramanjot

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