झारखंड विधानसभा में उच्च न्यायालय द्वारा नियोजन नीति रद्द करने के मुद्दे पर हंगामा

9/22/2020 5:45:19 PM

रांचीः झारखंड सरकार की नियोजन नीति सोमवार को उच्च न्यायालय द्वारा रद्द करने से उत्पन्न हुई बेरोजगारी की स्थिति पर कार्यस्थगन के माध्यम से चर्चा की मांग को लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा के सदस्यों ने विधानसभा में मंगलवार को जमकर हंगामा किया। इसके चलते सदन की कार्यवाही पहले एक घंटे के लिए और फिर मुख्यमंत्री के ‘जैसी करनी वैसी भरनी' टिप्पणी करने के बाद दो बजे तक के लिए स्थगित हो गई।

झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की जिला नियोजन नीति 2016 को निरस्त कर दिया। इसमें स्थानीय लोगों के लिए तृतीय एवं चतुर्थ संवर्ग के रोजगार में सौ प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। झारखंड विधानसभा में मानसून सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को जैसे ही प्रश्नकाल प्रारंभ हुआ मुख्य विपक्षी भाजपा ने उच्च न्यायालय के सोमवार के आदेश के आलोक में बेरोजगार हुए लोगों के मुद्दे, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था की स्थिति पर लाए गए अपने कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की लेकिन विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने इसकी अनुमति नहीं दी जिसके बाद भाजपा सदस्यों ने विधानसभा में हंगामा किया। इसी के साथ अध्यक्ष के आसन के समक्ष आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। हंगामे के बीच भाजपा विधायक तथा पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कार्यस्थगन पर चर्चा कराए जाने पर जोर दिया।

इस पर विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने कहा, ‘‘सदन ऐसे नहीं चलेगा।'' इसके जवाब में भाजपा विधायक रणधीर सिंह ने कहा, ‘‘ऐसे ही चलेगा।'' भाजपा विधायक के अपने इस बयान के दोहराने पर भड़के विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने कहा, ‘‘सदन में गुंडागर्दी नहीं चलेगी।'' विधानसभाध्यक्ष ने आसन के सामने पहुंचे रणधीर सिंह को मार्शलों को आदेश देकर तत्काल सदन से बाहर करवा दिया। विधानसभाध्यक्ष की इस कार्रवाई पर सदन से बाहर रणधीर सिंह ने कहा, ‘‘क्या सरकार का विरोध करना गुंडागर्दी है?'' भाजपा विधायक भानुप्रताप शाही ने भी कार्यस्थगन पर चर्चा की मांग की और उनका साथ सभी भाजपा विधायकों ने दिया।

साथ ही उन्होंने राज्य की नियोजन नीति पर अदालत के कल के आदेश से उपजी स्थिति पर मुख्यमंत्री के बयान की मांग की लेकिन मुख्यमंत्री सदन में नहीं थे जिसके चलते विधानसभाध्यक्ष ने संसदीय कार्यमंत्री से जवाब दिलाने की बात कही जिसके लिए भाजपा राजी नहीं हुई। हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही विधानसभाध्यक्ष ने एक घंटे के लिए स्थगित कर दी और प्रश्नकाल नहीं चल सका। सदन की कार्यवाही दोबारा साढ़े बारह बजे प्रारंभ होने पर मुख्यमंत्री सदन में आ चुके थे और उन्होंने इस मुद्दे पर अपने बयान में दो टूक कहा, ‘‘जैसी करनी वैसी भरनी।''

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ‘‘पिछली सरकार की गलतियों का खामियाजा उनकी सरकार भुगत रही है। पिछली सरकार ने वैसा कार्य किया जिस बात की अनुमति संविधान नहीं देता और 13 अनुसूचित जिलों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के सभी सरकारी पदों को स्थानीय लोगों के लिए सौ प्रतिशत आरक्षित कर दिये जिसके चलते उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया।'' उन्होंने जैसे ही कहा, ‘‘गलत किया तो भुगतना पड़ेगा।'' भाजपा ने आरोप लगाया कि स्थानीय लोगों के हित में बनायी गयी इस नीति के पक्ष में वर्तमान राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में उचित ढंग से सरकार का पक्ष नहीं रखा। वास्तव में राज्य सरकार की जिला नियोजन नीति को रद्द करने के सोमवार के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के चलते राज्य में नौ हजार से अधिक हाई स्कूल शिक्षकों की नौकरी चली गयी है और वर्ष 2016 की नियोजन नीति को रद्द करने से इसके आधार पर अभी नयी नियुक्तियों पर भी रोक लग गयी है जिससे बेरोजगारी और भी बढ़ने की आशंका है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधानसभाध्यक्ष सीपी सिंह ने आरोप लगाया, ‘‘पिछली सरकार के विकास कार्यों एवं उसकी नियुक्तियों तथा नीतियों को जानबूझ कर वर्तमान सरकार ध्वस्त करवा रही है, रद्द करवा रही है। जिससे आने वाले समय में वह अपने लोगों को वहां काम दिला सके, फिट कर सके।'' बढ़ते हंगामे को देखकर एक बार फिर विधानसभाध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही दोपहर बाद दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। झारखंड विधानसभा के तीन दिवसीय मानसून सत्र का आज अंतिम दिन है।

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