आदिवासी विरोधी मुख्यमंत्री से आदिवासियों को उम्मीद नही: MP समीर उरांव

5/10/2022 1:42:44 PM

रांचीः भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवम सांसद समीर उरांव ने सोमवार को झामुमो नेता के आदिवासी मुख्यमंत्री से संबंधित टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उरांव ने कहा कि हेमंत सोरेन ने अपने कारनामो से यह साबित कर दिया कि वे पूरी तरह से आदिवासी विरोधी मुख्यमंत्री है। उन्होंने कहा कि वे सिर्फ नाम के आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, काम के नहीं। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन का पूरा कार्यकाल आदिवासी विरोधी निर्णयों से भरा हुआ है।

इनके कार्यकाल में आदिवासी समाज पूरी तरह ठगा हुआ महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार गठित होते ही चाईबासा में आदिवासियों का सामूहिक नरसंहार हुआ। उरांव ने कहा कि झारखंड के अमर शहीद सिदो कान्हो के वंशज रामेश्वर मुर्मू की नृशंस हत्या हुई। राज्य की कर्मठ दरोगा और आदिवासी समाज की होनहार बेटी रूपा तिर्की की निर्मम हत्या आदिवासी मुख्यमंत्री के रहते हुई। कहा कि झामुमो को यह बताना चाहिये कि भाजपा के नेता विधायकदल एवम राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नही दिया जाना क्या आदिवासी समाज का अपमान नही है। उरांव ने कहा कि झारखंड राज्य बहन बेटियों पर बढ़ते अत्याचार एवम दुष्कर्म से शर्मसार हुआ है। जिसमे सबसे ज्यादा प्रभावित आदिवासी समाज की महिलाएं ही प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार में आदिवासियों की जमीन छीने जाने का रिकॉर्डर बनाया है।

कहा कि मुख्यमंत्री ने सारी मर्यादाओं को तार तार कर दिया जब उन्होंने आदिवासियों के नाम पर आवंटित किए जाने वाले आद्योगिक जमीन को अपनी पत्नी,साली के नाम पर ही आवंटित कर दिया। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के नाम पिछली भाजपा सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं, पेंशन को हेमंत सरकार ने बंद कर दिया। केंद्र सरकार द्वारा आदिवासियों के विकास के लिये भेजे गए पैसों के बंदरबांट हो रहे।कहा कि ऐसे में झामुमो को बताना चाहिए कि आप आदिवासी के नाम पर कबतक जनता को धोखा देंगे। कहा कि हेमंत जी को आदिवासियों की चिंता नही। उन्हें केवल अपने परिवार के विकास की चिंता है। इसलिये झामुमो को आदिवासी के नाम पर जनता को दिग्भ्रमित करना बंद करना चाहिये। उरांव ने कहा कि यह भाजपा ही है जिसने आदिवासियों के सर्वांगीण विकास की चिंता की है। झामुमो को परिवार से बाहर निकलने की फुरसरत कहां।

 

 

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Diksha kanojia