"JMM में आंतरिक लोकतंत्र नहीं", सुदेश महतो ने कहा- झामुमो एक परिवार के ''राजशाही रिवाज'' से जकड़ा हुआ
Monday, Aug 19, 2024-10:31 AM (IST)
रांची: आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के द्वारा लिखे गए मार्मिक पत्र पर प्रतिक्रिया दी। सुदेश महतो ने कहा कि चंपई की पीड़ा यह बयां करती है कि सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है और वह एक परिवार के 'राजशाही रिवाज' से जकड़ा हुआ है।
"चंपई सोरेन ने कुशलता से 5 महीने तक राजकाज चलाया"
सुदेश महतो ने आगे कहा कि चंपई सोरेन ने कुशलता से 5 महीने तक राजकाज चलाया, लेकिन सोरेन परिवार अपने परिवार के बाहर किसी को नेतृत्व देने को तैयार नहीं है। चंपई सोरेन के कार्यकाल में ट्रांसफर पोस्टिंग के उद्योग पर भी लगाम लगा था। उन्हें जितना समय जनता की सेवा करने का दिया गया उस दरमियान उन्हें राज्य की आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य किया था। उन्होंने कहा कि जेएमएम ने एक वरिष्ठ नेता को अपने कार्यकाल में बेहतर कार्य करने के बावजूद उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का काम किया है।
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलों के बीच बीते रविवार को दिल्ली पहुंचे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि उनके लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। सोरेन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक विस्तृत लेख लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि झारखंड का मुख्यमंत्री रहते हुए उनका अपमान किया गया। उन्होंने कहा, “झारखंड का बच्चा- बच्चा जनता है कि अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने कभी भी, किसी के साथ ना गलत किया, ना होने दिया। इसी बीच, हूल दिवस के अगले दिन, मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है। चंपई ने कहा कि इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था।” सोरेन ने कहा, “पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा तीन जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप मुख्यमंत्री के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।” उन्होंने लिखा, “क्या लोकतंत्र में इससे अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे?” सोरेन ने कहा, “मुझे कभी भी सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता?”