पक्ष-विपक्ष के सदस्यों ने सरकार द्वारा अनुबंध कर्मियों को हटाकर एजेंसी से काम लेने पर जताई नाराजगी

3/15/2021 5:56:12 PM

रांची: झारखंड सरकार ने विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को भरोसा दिलाया कि राज्य मुख्यालय से लेकर प्रखंड-अंचल कार्यालयों में प्रोग्रामर-कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर वर्षों से कार्यरत कर्मियों के मसले पर सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श के आधार पर फैसला लिया जाएगा।

संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सीपी सिंह के एक तारांकित प्रश्न के उत्तर में बताया कि विभिन्न विभागों में अनुबंध और संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों की सेवा को लेकर राज्य सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति को सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार इन कर्मचारियों के मुद्दे पर गंभीर है और विचार-विमर्श के पश्चात समुचित निर्णय लेगी।       

इससे पहले विधायक सीपी सिंह ने आग्रह किया कि जब तक सरकार समिति की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श कर कोई अंतिम निर्णय नहीं ले लेती है, तब तक टेंडर निर्गत कर बाह्य एजेंसी के माध्यम से इन पदों पर बहाली की प्रक्रिया पर रोक लगायी जाए। उन्होंने कहा कि सरकार यह भी आश्वासन दे कि पहले से कार्यरत कर्मियों की छंटनी नहीं होगी और अभी मिल रहे मानदेय में कटौती नहीं होगी।       

विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का भी स्पष्ट आदेश है कि अस्थायी को हटा कर अस्थायी कर्मियों की बहाली नहीं हो सकती। भाजपा के विधायक भानू प्रताप शाही ने बताया कि गढ़वा जिले में ऐसे अनुबंध कर्मियों को हटा कर आउटसोर्सिंग के माध्यम से लोगों को रखा जा रहा है, ऐसे में जिन लोगों ने 10 वर्षों तक अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय दिया, उनके समक्ष कठिनाई उत्पन्न होगी। भाकपा-माले के विनोद कुमार सिंह और भाजपा के रणधीर कुमार सिंह ने भी वर्षों से कार्यरत अनुबंध कर्मियों को नहीं हटाने का आग्रह किया।       

जिसके बाद में विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने इस मसले पर संसदीय कार्य मंत्री आलम को सभी तथ्यों की जानकारी लेकर अगले दिन इस प्रश्न पर सरकार की ओर से जवाब देने का निर्देश दिया।

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Umakant yadav