रेमडेसिविर की कालाबाजारी मामले में पुलिस अधीक्षक को गवाह बनाने पर High Court ने मांगा जवाब

7/3/2021 11:12:36 AM

रांचीः झारखंड उच्च न्यायालय ने रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में रांची के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक नौशाद आलम को सरकारी गवाह बनाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए जवाब तलब किया कि जब इस मामले की निगरानी स्वयं वह कर रहा है तो ग्रामीण पुलिस अधीक्षक को सरकारी गवाह बनाए जाने के मामले में उसे अंधेरे में क्यों रखा गया?

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा. रवि रंजन व न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी के प्रमुख अनिल पालटा, सीआइडी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और अनुसंधान अधिकारी को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि रेमडेसिविर की कालाबाजारी मामले में स्वयं ग्रामीण पुलिस अधीक्षक का नाम आया था तो सिर्फ दो आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना गंभीर सवाल खड़े करता है। न्यायालय ने कहा कि एसआइटी को समय-समय पर अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया गया था तो उसने आरोप पत्र से पहले अदालत में रिपोर्ट क्यों नहीं जमा की।

उच्च न्यायालय ने मामले से संबंधित केस डायरी, जांच रिपोर्ट और एसआइटी के गठन से संबंधित मूल दस्तावेज उसके सामने पेश करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई आठ जुलाई को होगी। आज इस मामले में सुनवाई के दौरान हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि एसआइटी गठन से पहले ही दो आरोपियों के खिलाफ निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया जबकि ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के कहने पर कुछ लोगों को आरोपी ने रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया था, ऐसे में कैसे उन्हें सरकारी गवाह बना दिया गया है? इस पर पीठ ने कड़ी नाराजगी जताई और पूछा,‘‘ पुलिस अधीक्षक को सरकारी गवाह क्यों बनाया गया है? ऐसा करने से पहले एसआइटी ने इसकी जानकारी पीठ को क्यों नही दी?''

राज्य सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि एसआइटी ने दो आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी करने के बाद निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है और अभी जांच जारी है। इसपर पीठ ने एसआइटी के गठन के आदेश, केस डायरी और निचली अदालत में दाखिल चार्जशीट अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है। झारखंड में रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में की गयी जांच की रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सीआइडी ने सौंपी थी। एडीजी अनिल पालटा के नेतृत्व में मामले की जांच हो रही थी। इस बीच सरकार ने अनिल पालटा का स्थानांतरण कर दिया। इस पर पिछली तारीख पर जब न्यायालय ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की तो सरकार इसकी जांच के लिए अनिल पालटा के नेतृत्व में एसआइटी का गठन करने को तैयार हो गई।

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Diksha kanojia