झारखंड उच्च न्यायालय से सीएम हेमंत को मिला झटका, मेंटेनबिलिटी पर राज्य सरकार की दलीलें खारिज

6/3/2022 1:10:28 PM

रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी और खनन लीज मामले में मेंटेनेबिलिटी (वैधता) पर आज झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई योग्य माना है। इससे पहले झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने 1 जून को सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

प्रार्थी शिवशंकर शर्मा की पीआईएल संख्या 4290 की वैधता पर राज्य सरकार दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 10 जून को निर्धारित की है। शेल कंपनियों में निवेश की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका को अदालत ने स्वीकार कर लिया है, साथ ही मेंटेनबिलिटी की बिन्दु पर राज्य सरकार द्वारा दी गयी दलील को खारिज कर दिया गया है। याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट में अब इस जनहित याचिका पर सुनवाई की अगली तिथि 10 जून को मेरिट पर सुनवाई होगी। बताया गया है कि 6 जून के बाद ग्रीष्मकालीन अवकाश खत्म हो जाने के बाद हाईकोर्ट में फिजिकल सुनवाई शुरू हो जाएगी, इसलिए इस मामले की अगली सुनवाई भी ऑनलाइन की जगह फिजिकल कोर्ट में होगी। अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह स्वीकार किया कि जनहित याचिका सुनवाई के लिए मेंटेनबल है। उन्होंने कहा कि यह याचिकाकर्ता की पहली जीत है।

कुमार ने बताया कि अदालत ने जनहित याचिका को मेंटेनबल मानते हुए महाधिवक्ता को मेरिट पर पक्ष रखने को कहा, इस पर महाधिवक्ता की ओर से लंबा समय देने का आग्रह किया गया। जिस पर याचिकाकर्त्ता के अधिवक्ता की ओर से आपत्ति जतायी गयी। राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता इस मामले में सुनवाई की अगली तिथि 17 जून निर्धारित करने का आग्रह कर रहे थे, लेकिन राजीव कुमार की ओर से कहा गया कि अधिक समय देने से कई साक्ष्यों को नष्ट किये जाने की आशंका है, जिसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथ 10 जून निर्धारित की है। उन्होंने कहा कि जनहित याचिका एडमिट हो जाना याचिकाकर्ता की बड़ी जीत है, ईडी के अधिवक्ता तुषार मेहता की ओर से भी अदालत को यह जानकारी दी गयी है कि ईडी की छानबीन में सत्ताशीर्ष में बैठे लोगों के खिलाफ कई साक्ष्य मिले है।

इससे पहले 1 जून को पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जनहित याचिका की मेंटेनबिलिटी पर सवार उठाते हुए कोर्ट से आग्रह किया था कि वह इस याचिका पर आगे की सुनवाई ना करें और याचिका को खारिज कर दें। इसके लिए सरकार की ओर से अदालत में उपस्थित वकीलों ने कई बिन्दुओं पर बहस भी की थी।

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Diksha kanojia