पाकुड़ में आंकड़ों की गड़बड़ी, 60 प्रतिशत टीकाकरण राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित हुआ 37 प्रतिशत

11/4/2021 11:26:12 AM

पाकुड़ः झारखंड के पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे पाकुड़ जिले में अब तक 60 प्रतिशत से अधिक कोविड-रोधी टीकाकरण हो चुका है लेकिन गलत आंकड़े दर्ज किए जाने के चलते यहां राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ 37 प्रतिशत टीकाकरण हुआ दिखाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ऑनलाइन माध्यम से देश के 39 अन्य ऐसे जिलों के साथ झारखंड के पाकुड़ जिले के उपायुक्त से भी बातचीत की जहां कोविड का पहला टीका भी 50 प्रतिशत से कम लोगों को लगाया जा सका है। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी के साथ ऑनलाइन बैठक के बाद उपायुक्त वरूण रंजन ने बताया कि प्रधानमंत्री ने उनसे जिले में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान की जानकारी ली जिसमें उन्होंने आंकड़े दर्ज किये जाने की कमी के बारे में उन्हें जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने चार दिन से चलाए गए विशेष टीकाकरण अभियान की सराहना की। साथ ही टीकाकरण में पिछड़े देश के दूसरे जिलों के उपायुक्तों को पाकुड़ के विशेष अभियान के मुताबिक टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करने को कहा।

इस बैठक की जानकारी देते हुए उपायुक्त ने बताया कि प्रधानमंत्री ने उनसे अभियान की जानकारी ली। उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि इस अभियान में 51 हजार लोगों का टीकाकरण किया गया। अभियान को लेकर 150 टीमें बनाई गई हैं और जिला व प्रखंड स्तर पर नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं। मोबाइल टीम को भी टीकाकरण के कार्य में लगाया गया है। उपायुक्त ने बताया कि इसके अलावा प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा कि टीकाकरण में क्या और किस तरह की समस्याएं आ रही हैं। यह भी पूछा कि दूरदराज के क्षेत्रों में टीकाकरण कैसे बढ़ेगा? प्रधानमंत्री ने जिले में इंटरनेट कनेक्टिविटी व आंकड़ों के संबंध में भी जानकारी ली।

उपायुक्त ने उन्हें बताया कि कनेक्टिविटी के लिए प्रज्ञा केंद्र का सहयोग लिया जा रहा है। जिले में नवंबर के अंत तक 80 प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिले में अभी 60 प्रतिशत लोगों को टीके की प्रथम खुराक दी जा चुकी है। अधिकारी ने बताया कि आंकड़ों में गड़बड़ी की वजह से पाकुड़ जिले का टीकाकरण 37 प्रतिशत प्रदर्शित हो रहा है जबकि अगस्त में ही यहां 37 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण किया जा चुका था। उपायुक्त वरुण रंजन ने बताया कि जिले के आठ से 10 प्रतिशत लोग दूसरे प्रदेशों में काम करते हैं। यह आंकड़ा भी जिले की जनसंख्या में जुड़ा हुआ है।

Content Writer

Diksha kanojia