Bihar Election 2025: 21 साल बाद जमुई के इस गांव में हुई वोटिंग, वोटर्स में दिखा जबरदस्त उत्साह

Tuesday, Nov 11, 2025-04:15 PM (IST)

Bihar Election 2025: बिहार में दूसरे एवं अंतिम चरण के विधानसभा चुनाव के लिए (Bihar Election 2025 Phase 2 Voting) कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच 122 सीट पर मतदान जारी है।  इसी बीच जमुई के नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहे बरहट प्रखंड के चोरमारा गांव 21 साल बाद मतदान हुआ। वहीं अब सुरक्षा के कड़े इंतजाम के बीच 21 वर्षों के बाद गांव में पोलिंग बूथ बनाया गया। मुंगेर सीमा रेखा के बरहट प्रखंड अंतर्गत नक्सल प्रभावित चोरमारा गांव के लोग लोकतंत्र के पर्व में 21 साल बाद हिस्सा ले रहे हैं। इस इलाके में नक्सलियों के खौफ की वजह से वहां रहने वाले लोग पिछले 21 वर्षों से अपने मतदान के अधिकार से वंचित होते रहे हैं। वर्ष 2025 का विधानसभा चुनाव उनके लिए मतदान की सौगात ले कर आया है और मतदाता उत्साह के साथ बड़ी संख्या में वोट देने ले लिए क़तार में लगे हुए दिख रहे हैं । 

पहले गांव से 20 किलोमीटर दूरी पर बनता था पोलिंग बूथ

पहले इस क्षेत्र में बुलेट की गूंज सुनाई पड़ती थी लेकिन अब बेलट का बोलबाला है। इस बार चुनाव आयोग और प्रशासन की पहल से इस इलाके की तस्वीर बिल्कुल बदल सी गई है। उल्लेखनीय है कि 2004 में चोरमारा विद्यालय में एक मतदान केंद्र बनाया क्या था, लेकिन नक्सलियों के खौफ से ज्यादातर मतदाता घरों से नहीं निकले थे। 2004 में सरकार की पहल से नाराज नक्सलियों ने 2007 में उस विद्यालय को डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया, जहाँ मतदान केंद्र बनाया गया था। इस घटना के बाद उस इलाके में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा भी बाधित हो गई थी। बम कांड के बाद नक्सलियों का खौफ इतना बढ़ गया कि वहां के विद्यालय से मतदान केंद्र हटा लिया गया और जिन लोगों को मतदान करने की इच्छा हो, उन्हें वहां से 20 किलोमीटर दूर बरहट प्रखंड अंतर्गत कोयवा स्कूल पैदल चलकर जाना पड़ता था। इस वजह से इस इलाके के मतदाताओं की चुनाव में भागीदारी बहुत कम होती थी ।        

नक्सली कमांडर के परिवार ने सजाया मतदान केंद्र

इस बार के चुनाव की खास बात है कि 18 साल पहले जिस स्कूल को चोरमारा गांव के रहने वाले नक्सली कमांडर बालेश्वर कोड़ा ने उड़ाया था, आज उसी नक्सली कमांडर का पुत्र संजय कोड़ा नए बनाए गए मतदान केंद्र को दुल्हन की तरह सजाने में लगे। साथ ही इस कार्य में नक्सली कमांडर की पत्नी मंगनी देवी उर्फ गीता भी अपने पुत्र का साथ दी और लोगों को मतदान के प्रति जागरूक किया। 

गौरतलब है कि बिहार के जमुई जिले का चोरमारा गांव पूरी तरह जंगलों और पहाड़ों के बीच बसा है, जहां पर नक्सलियों का सबसे बड़ा कैंप हुआ करता था। लम्बे समय तक मारकाट के बाद यहां गांव में रहने वालों में अधिकांश महिलाएं ही बची है और ज्यादातर युवा नक्सलियों के खौफ से गांव छोड़कर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने चले गए हैं। इस बीच बदलती परिस्थितियों में गांव छोड़ने वाले युवा पुन: वापस लौटने लगे हैं। बदले माहौल में 21 साल बाद चोरमारा गांव में फिर से मतदान केंद्र बना है और मतदान को लेकर लोगों में गजब का उत्साह देखा जा रहा है। इस बार महापर्व को 21 साल बाद मनाने के लिए मतदान केंद्र पर बड़ी संख्या में स्थानीय आदिवासी महिलाएं व पुरुष एक साथ देखे गए जो भारतीय लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ा रहा है। 


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Content Editor

Harman

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