सुशील मोदी ने की मांझी के बयान की आलोचना, कहा- श्रीराम को काल्पनिक बताना वाल्मीकि का भी अपमान
4/16/2022 10:48:16 AM
पटनाः बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि राजनीति स्वार्थ के लिए पुरखों पर सवाल उठाना उचित नहीं है, यह वाल्मीकि, शबरी, केवट और लव कुश का भी अपमान है।
सुशील मोदी ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतनराम मांझी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं। उनके समकालीन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में जिनका इतिहास लिखा और जिनके होने के अमिट प्रमाण अयोध्या से श्रीलंका के रामसेतु तक उपलब्ध हैं, उन पर अनर्गल बयान देकर किसी को भी करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं आहत नहीं करनी चाहिए।
Koo App१/१. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखा हैं। उनके समकालीन महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के रूप में, जिनका इतिहास लिखा और जिनके होने के अमिट प्रमाण अयोध्या से श्रीलंका के रामसेतु तक उपलब्ध हैं, उन पर अनर्गल बयान देकर किसी को भी करोड़ों हिंदुओं की भावनाएँ आहत नहीं करनी चाहिए।- Sushil Kumar Modi (@sushilmodi) 15 Apr 2022
Koo Appश्रीराम ऐसे विराट व्यक्तित्व थे कि उनके जीवन से भारत ही नहीं, नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया सहित कई देशों की संस्कृति प्रभावित हुई। जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदि कवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं।- Sushil Kumar Modi (@sushilmodi) 15 Apr 2022
भाजपा सांसद ने कहा कि जिन दलों या लोगों ने क्षुद्र राजनीतिक हितों के दबाव में ऐसे बयान दिए, वे राम-भक्त समाज के चित से ही उतर गए। उन्होंने कहा कि श्रीराम ऐसे विराट व्यक्तित्व थे कि उनके जीवन से भारत ही नहीं, नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया समेत कई देशों की संस्कृति प्रभावित हुई। मोदी ने मांझी का नाम लिए बगैर कहा कि जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदिकवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कहना हास्यास्पद ही है कि कोई स्वयं को शबरी का पुत्र बताए, लेकिन माता शबरी ने जिनकी भक्ति से संत समाज में अक्षय कीर्ति पाई, उस महानायक श्रीराम को ही काल्पनिक बता दे। आस्था पर चोट और समाज को बांटने की ऐसी ओछी राजनीति कभी सफल नहीं होगी।