RJD ने बिहार के लिए की विशेष दर्जे की मांग, कहा- इसके बिना देश का विकास नहीं हो सकता

2/4/2022 5:00:39 PM

नई दिल्ली/पटनाः राज्यसभा में शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि बिहार की तरक्की के बिना देश का विकास नहीं हो सकता। साथ ही पार्टी ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण दलीय दायरों से उठकर बनाया जाना चाहिए और उसमें पूरे देश के सरोकार नजर आने चाहिए।

उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए राजद के मनोज कुमार झा ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण देश का एक ‘‘ब्लू प्रिंट'' होता है जिसमें देश को दिशा एवं दशा देने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम विपक्ष में रहकर देश की दशा एवं दिशा को लेकर चिंतित हैं तो वे चिंता की लकीरें राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी दिखाई देनी चाहिए थीं।'' उन्होंने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति सोशल मीडिया आदि देखते होंगे और क्या उन्होंने उन छात्रों को नहीं देखा जिन पर लाठियां बरसाई गईं। उन्होंने कहा कि ये छात्र दो करोड़ रूपए नहीं, बस नौकरियां मांग रहे थे। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी को लेकर जो चिंताएं सामने आनी चाहिए वे अभिभाषण में नहीं आईं।

झा ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के अभिभाषण को दलीय दायरों से ऊपर कर दीजिए। अभिभाषण को पार्टीहीन दस्तावेज बनाइए तथा राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश का सरोकार दिखना चाहिए।'' झा ने प्रश्न किया कि क्या एक भारत, श्रेष्ठ भारत में बिहार आता है या नहीं। उन्होंने दावा किया कि बिहार ज्वालामुखी के मुंह पर बैठा हुआ है। उन्होंने कहा ‘‘ राजद नेता लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, नीतीश कुमार सहित बिहार के तमाम नेताओं ने प्रधानमंत्री से हाथ जोड़कर विनती की थी कि उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए। यदि बिहार तरक्की नहीं करेगा तो देश भी तरक्की नहीं कर पाएगा।'' उन्होंने अभिभाषण में विगत को याद करते हुए इससे सीखने की बात पर जोर देते हुए याद दिलाया कि विश्व का इतिहास गवाह है कि जिसने भी विगत की स्मृतियों से छेड़छाड़ करने की कोशिश की, उसको बदलने की कोशिश की, वे इतिहास के ‘‘फुटनोट'' में चले गए।

राजद नेता ने कहा कि सरकार ने नेताजी को साम्राज्यवादी छतरी के नीचे रखने का काम किया है और यदि नेताजी होते तो वह कहते कि उन्हें वहां नहीं, लोगों के दिलों में रखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘बौनी समझ वाले लोग लंबा इतिहास नहीं लिख पाते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘1952 में पहला विकास, समावेशी विकास और रोजगार के नाम पर हुआ था और आज के हालात भी आप देख सकते हैं। पाकिस्तान में कभी भारत के नाम पर चुनाव नहीं होता किंतु हमारे देश में पाकिस्तान के नाम पर चुनाव लड़े जाते हैं। जिन्ना अगर कहीं होंगे तो वह यह सोचते होंगे कि जो जीते जी मैंने नहीं पाया, वह भाजपा ने मुझे दे दिया।'' उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जब नोआखली से लौट कर आए तो वह बहुत पीड़ा में थे और उन्होंने अपनी प्रार्थना को बदल कर ‘‘भज मन तू राम रहीम, भज मन तू कृष्ण करीम'' कर दिया था। उन्होंने कहा ‘‘आज आप क्या कर रहे हैं, इस राम रहीम के बीच दीवार खड़ी कर रहे हैं। वक्त वक्त की बात है, यह दीवारें भी मिट जाएंगी और आप भी मिट जाएंगे।''

झा ने कहा कि कोविड के दौरान जो सरकारें कहीं दिखाई नहीं पड़ रही थीं वे अब चार पन्नों का इश्तेहार छपवा रही हैं, ‘‘सोच ईमानदार, काम दमदार''। उन्होंने कहा कि वह यह बात केवल केंद्र सरकार के लिए नहीं कह रहे। उन्होंने कहा कि यह बात दूसरों को कहनी चाहिए किंतु सरकार ही स्वयं कह रही है। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों के लोग मरे हैं उनके लिए मौत कोई आंकड़ा नहीं है। उन्होंने जम्मू कश्मीर का जिक्र करते हुए कहा कि नई दिल्ली में यह कहने से कुछ नहीं होता कि वहां सब कुछ ठीक है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर या लद्दाख कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर, सब कुछ ठीक है तो इसे वहां भी दिखना चाहिए। उन्होंने यह भी प्रश्न उठाया कि अभिभाषण में पूर्वोत्तर में मारे गए 15 नागरिकों की हत्या का उल्लेख क्यों नहीं है? उन्होंने कहा कि अभिभाषण में डॉ. भीमराव आंबेडकर का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर नायक की पूजा के खिलाफ बार बार आगाह करते थे, ‘‘किंतु आज हमने लोकतंत्र को ही नायक की पूजा में तब्दील कर दिया है।''

राजद नेता ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में सरकार को राजग सरकार कहा जाता है किंतु आज मोदी सरकार या केजरीवाल सरकार कहा जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई नेता संप्रदाय बन जाता है तो पहले आतंरिक लोकतंत्र खत्म होता है, फिर हर जगह लोकतंत्र समाप्त हो जाता है। फिर हर कोई परेशानी झेलता है।'' उन्होंने कहा कि आज चुनावों में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल हो रहा है वह बहुत चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि चुनाव हारने से कोई देशद्रोही नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि देश में आज लोगों के पास भोजन खरीदने के लिए पैसा नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि भंडारों में भरे अनाज लोगों की भूख कब मिटाएंगे।


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Ramanjot

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