देश के समक्ष आने वाली सभी चुनौतियों से निपटने की शक्ति निहित है हमारे संविधान में : रविशंकर प्रसाद
Saturday, Sep 13, 2025-08:15 PM (IST)

पटना:“विगत 75 वर्षों में हमारे संविधान ने भारत के लोकतंत्र को लगातार परिपक्व बनाया है। हमारे संविधान में देश के समक्ष आने वाली सभी चुनौतियों से सामना करने की शक्ति है। हमारे संविधान में उन हर चुनौतियों से निपटने की क्षमता निहित है।“ यह कहना है पटना साहिब से लोकसभा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का।
रविशंकर प्रसाद शनिवार को सचिवालय स्थित अधिवेशन भवन में “विगत 75 वर्षों में भारत की संवैधानिक यात्रा” विषय पर आयोजित प्रथम भुवनेश्वरी दयाल व्याख्यान को सम्बोधित कर रहे थे। इस व्याख्यान का आयोजन बीडी कॉलेज द्वारा किया गया था।
इस व्याख्यान की अध्यक्षता बीडी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. रत्ना अमृत ने की। जबकि इस व्याख्यान में बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार चौधरी, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह, मगध विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी शाही समेत राज्य के कई गणमान्य शख्सियतों के साथ कॉलेज के शिक्षक और छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमारे संविधान की सबसे बड़ी ताकत है कि इसने अपने 75 वर्षों की यात्रा में देश पर शासन करने का अधिकार जनता के वोट में निहित रखा है। देश की जनता जिसे चाहेगी, उसे वोट देगी और जिसे वह चुनेगी वही देश में सरकार की बागडोर संभालेगा। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान हरेक भारतीय को सशक्त बनाता है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, भाषा, वेशभूषा और प्रांत का नागरिक हो। यह हमारे संविधान की ही ताकत है कि न केवल सरकारों को बल्कि सभी संवैधानिक संस्थाओं को भी संविधान के प्रति जवाबदेह बनाया है। चाहे वह चुनाव आयोग हो, सर्वोच्च न्यायालय हो, केंद्र की सरकार हो या फिर किसी राज्य की, इसने सभी को संसद और विधानसभा के प्रति उनकी जवाबदेही तय कर रखी है।
इस मौके पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने भारत के संविधान के निर्माण में अपने पूर्वजों की भूमिका और समर्पण को भी याद किया। कहा कि जब संविधान का निर्माण हो रहा था, तब देश विभाजन की पीड़ा झेल रहा था। उन्होंने संविधान के निर्माण में प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु, पहले गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल, अबुल कलाम आजाद समेत उन सही लोगों को याद किया जिन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहा कि तब देश साढ़े पांच सौ से भी अधिक रियासतों में बंटा हुआ था। देश को एकसूत्र में जोड़ने के लिए उन्होंने सरदार पटेल को याद किया और कहा कि उन्होंने संविधान की भावनाओं के अनुरूप सभी रियासतों को एक किया। उन्होंने राजेंद्र बाबू को याद करते हुए कहा कि जब उन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी वकालत छोड़ी थी तब वे देश के सबसे बड़े वकीलों में एक थे।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में बीडी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. रत्ना अमृत ने अपने कॉलेज का जिक्र करते हुए कहा कि बीडी कॉलेज की स्थपना में मुख्य रूप से तीन महा पुरुषों का सबसे बड़ा योगदान रहा है। इनमें एक खुद स्व. भुवनेश्वरी दयाल थे, जबकि उनके साथ पटना के तत्कालीन महापौर केएन सहाय और प्रो. निर्मल कुमार श्रीवास्तव ने इस कॉलेज की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही बीडी कॉलेज के निर्माणाधीन भवन का काम पूरा कराया जाएगा। साथ ही, कॉलेज के नैक ग्रेडिंग के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कॉलेज की कैंटीन का संचालन जीविका दीदियों को सौंपा जाएगा। डॉ. रत्ना अमृत ने कहा कि मैं चुनातियों को अवसर में बदलूंगी।