"नीतीश का अपना ठिकाना नहीं और देश में घूम रहे", PK ने कहा- नेताओं के साथ चाय पीने से कुछ नहीं होने वाला
5/12/2023 4:57:40 PM
समस्तीपुर(अभिषेक कुमार सिंह): जन सुराज पदयात्रा के 223 वें दिन की शुरुआत समस्तीपुर जिले के मोरवा प्रखंड अंतर्गत लरुआ पंचायत स्थित पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय पत्रकारों के साथ संवाद किया। समस्तीपुर के मोरवा प्रखंड में मीडिया संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि नेताओं और दलों के साथ में बैठकर चाय पीने से और प्रेस वार्ता करने से विपक्षी एकता अगर होनी होती तो आज से 10 साल में यह काम हो गया होता।
"नेताओं के आपस में मिलने से विपक्षी एकता नहीं हो सकती"
प्रशांत किशोर ने कहा कि नेताओं के आपस में मिलने से विपक्षी एकता नहीं हो सकती। नीतीश कुमार जो कर रहे हैं इसका कोई मतलब नहीं बनता है। नीतीश कुमार जो विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं वो बिहार में सीटों का ही फार्मूला जारी कर दे कि बिहार में जदयू, कांग्रेस, आरजेडी और उनके अन्य जो सहयोगी दल हैं वो कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि क्या नीतीश कुमार अपनी सीट छोड़कर भाकपा(माले) को देंगे? भाकपा(माले) की जीत का औसत नीतीश कुमार से ज्यादा रहा है। नीतीश कुमार की पार्टी 110 सीटों पर लड़ कर 42 सीट पर जीती हैं, भाकपा(माले) 17 सीटों से लड़कर 12 एमएलए जीती हैं। इस हिसाब से उनको को ज्यादा सीट मिलनी चाहिए, तो नीतीश कुमार अपनी सीट छोड़ देंगे? जिसके अपने घर का ठिकाना है नहीं! वह आदमी पूरे दुनिया में घूमेगा तो वो न घर का होगा ना बाहर का बचेगा।
BJP पर जमकर बरसे प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा का बिहार में कुछ नहीं है। आज बीजेपी की हालत ऐसी है कि बीजेपी की कमान बिहार में ऐसे व्यक्ति के पास है जिनके बाबूजी पहले लालू जी के मंत्री थे, फिर वो नीतीश के मंत्री हुए, उसके बाद वह मांझी जी के मंत्री हुए और आजकल उनका बेटा बीजेपी का उद्धार करने निकला है। पिछले 30 सालों में बिहार में जितने लोग विधायक और सांसद बने हैं, चाहे वह जिस भी दल से बने हो वो पूरे बिहार में कुल 1200 से 1500 परिवार के लोग ही यहां विधायक और सांसद बने हैं। भाजपा को भी बिहार में कोई नया आदमी नहीं मिल रहा है, उनको भी वही व्यक्ति मिला है जिनके बाप-दादा पहले किसी और दल में थे, बिहार में भाजपा अभी नेता खोज ही रही है। कोई नेता उनको यहां मिल जाएं जिसके नाम पर बिहार में चुनाव लड़ा जा सके इसी के फिराक में रहते हैं।