शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर DMCH में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन, डॉक्टरों ने सीखे कई गुर

1/30/2023 1:51:36 PM

दरभंगा: बिहार के दरभंगा मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आईएपी, एनएनएफ फर्स्ट गोल्डन मिनट प्रोजेक्ट की ओर से रविवार को नवजात शिशु पुनर्जीवन के एडवांस्ड प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल के सलाहकार और ललित नारायण मिथिला एवं आर्यभट ज्ञान विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति डॉ. एस पी सिंह ने किया।

डॉ. एस पी सिंह ने इस मौके पर कहा कि साल 2021 के यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन पूरी दुनिया में 6400 से ज्यादा नवजात शिशुओं (4 सप्ताह तक की उम्र वाले) की मृत्यु हो जाती है। इनकी मृत्यु के अधिकांश कारण ऐसे हैं जिन्हें रोका जा सकता है। प्रथम दिवस काफी बच्चे जन्म के समय सांस नहीं ले जाने के कारण मर जाते हैं। इसे नवजात शिशु पुनर्जीवन कार्यक्रम के प्रशिक्षण के द्वारा काफी हद तक कम किया जा सकता है। पूर्व कुलपति ने अपने एवं डॉ. भोला नायक द्वारा 80 और 90 के दशक में नवजात शिशु के पुनर्जीवन के प्रयासों को याद किया। उन्होंने बीते लम्हों को याद करते हुए कहा कि साल 1991 में उन्होंने दरभंगा में आईएसए का नेशनल कांफ्रेंस आयोजित किया गया था जिसमें देश और विदेश से बड़ी संख्या में चिकित्सक आए थे।

कार्यक्रम में पीजीआई चंडीगढ़ से डॉ. प्रमिला चारी ने नवजात शिशु कार्यक्रम को प्रोत्साहित किया था। कार्यक्रम में पूरे बिहार से आए 40 शिशु रोग, नवजात रोग एवं स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञो ने भारत के प्रख्यात नवजात शिशु पुनर्जीवन कार्यक्रम के प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया।  प्रशिक्षण देने का कार्य अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना से डॉ. भवेश कांत झा, आईजीआईएमएस से डॉ. अमित कुमार, पटना से डॉ. नीरज कुमार, मुजफ्फरपुर से डॉ. तेज नारायण एवं दरभंगा से डॉ. ओम प्रकाश ने किया। 

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Ramanjot