सीनेट की 47वीं बैठक में राज्यपाल आर्लेकर बोले- संस्कृत भाषा को व्यवहार में लाने से बढ़ेगी इसकी प्रतिष्ठा

3/12/2024 5:00:46 PM

दरभंगा: बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति डॉ. राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने संस्कृत को पुरातन भाषा बताते हुए आज कहा कि संस्कृत को व्यवहार में लाने से इसकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी और वैश्विक स्तर पर इसे मुकम्मल स्थान मिलेगा। आर्लेकर ने कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में मंगलवार को आयोजित सीनेट की 47वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों का समेकित विकास जिस तरह होना चाहिए वह नहीं हो सका है। इसका समाधान कैसे होगा, इसपर सभी को मिलकर विचार करना होगा। 



राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को देश का एक अहम संस्कृत विश्वविद्यालय बनाने के लिए प्रयास करने पर बल देते हुए कहा कि यहां आंतरिक पत्राचार, संचिकाओं में टिप्पणी लेखन एवं आपसी वार्तालाप संस्कृत में होनी चाहिए। सीनेट के सदस्यों को भी संस्कृत का ज्ञान होना चाहिए। कुलाधिपति ने कहा, ‘‘बच्चों को हम हिंदी नहीं भी सिखाते हैं तो वे बोल लेता है। बड़ा होकर ही वे उसमें दक्ष हो पाते है। तो ऐसे में यदि हमलोग संस्कृत में विचारों का रोज आदान प्रदान करेंगे तो बेशक यह भाषा सर्वसुलभ हो जाएगी। इससे इसका मान भी बढ़ेगा और यह विलुप्त होने से भी बच जाएगी।''



राज्यपाल आर्लेकर ने कहा कि विश्वविद्यालय के हित में सीनेटरों का बड़ा कर्तव्य है, इस पर भी विचार आवश्यक है। इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय के उत्थान एवं इसकी गतिविधियों के सम्यक संचालन का दायित्व यहां के पदाधिकारियों के अतिरिक्त सीनेट के सदस्यों का भी है। परीक्षाओं को ससमय सम्पन्न कराने में उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ सहयोग करना चाहिए। उन्होंने ने सीनेट सदस्यों के भी संस्कृत का ज्ञान बढ़ाने के लिए विश्ववविद्यालय में उन्होंने संस्कृत सम्भाषण शिविर का आयोजन करने के लिए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय से कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी इस सम्भाषण शिविर में आएंगे।                     
 

Content Writer

Ramanjot