कोरोना के नए वैरिएंट को डिटेक्ट करने के लिए बिहार में बजट नहीं, IGIMS ने सरकार से की ये मांग

12/7/2021 6:26:53 PM

 

पटनाः बिहार में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को डिटेक्ट करने के लिए सरकार के पास बजट नहीं है। दरअसल, एक बार में 96 सैंपल की सिक्वेंसिंग की जा सकती है, जिसके लिए 12 से 15 लाख तक का खर्च आ जाता है। वहीं अब आईजीआईएमएस ने नीतीश सरकार ने बजट की मांग की है। 

आईजीआईएमएस के माइक्रो वायरोलॉजी विभाग में जिनोम सिक्वेंसिंग का पहला सेंटर बनाया गया है। अब तक जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए सैंपल को बिहार से बाहर भेजा जाता था। इसमें काफी समय लगता था और रिपोर्ट समय से नहीं आने पर समस्या होती थी। डेढ़ साल पूर्व आईजीआईएमएस में जिनोम सिक्वेंसिंग की हाईटेक मशीन लगाई गई थी। माइसेक इल्यूमिना कंपनी की इस मशीन पर पहले ट्रायल किया जा चुका है। इस मशीन पर कोई भी जिनोम सिक्वेंसिंग की जा सकती है।

वहीं आईजीआईएमएस में कोरोना पर अब तक 2 ट्रायल हो चुका है। कोरोना के लिए हुए ट्रायल में एक बार में 10 और दूसरी बार में 14 सैंपल के जिनोम सिक्वेंसिंग का ट्रायल किया जा चुका है। ट्रायल के लिए अब तक बजट का इंतजाम आईजीआईएमएस ही करता रहा, लेकिन अब बजट नहीं होने से जिनोम सिक्वेसिंग का काम बंद हो गया है।

बता दें कि जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए सैंपल की लाइन लगते ही आईजीआईएमएस ने बिहार सरकार से जांच के लिए बजट की मांग की है। अब सरकार से बजट मिलने के बाद ही कोरोना के नए वैरिएंट की जांच हो पाएगी। 

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Nitika