नीतीश कुमार की नीति ने बदली बिहार की सूरत, गांव-गांव पहुंची बारहमासी सड़कें

Wednesday, Jul 16, 2025-07:59 PM (IST)

पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 में जब सूबे की बागडोर संभाली, तब से अब तक के करीब दो दशक में बिहार एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। मुख्यमंत्री कुमार ने न केवल योजनाएं बनाई, बल्कि जमीन पर उनका प्रभावी क्रियान्वयन भी सुनिश्चित किया। यही कारण है कि आज बिहार की सड़कों पर रफ्तार है, पुलों पर प्रगति है और गांव से शहर तक सुविधा की मजबूत श्रृंखला बिछ चुकी है। 

वर्ष 2005 से पहले राज्य में सड़कों की कुल लंबाई मात्र 14,468 किलोमीटर थी, लेकिन 2025 तक यह बढ़कर 26,081 किलोमीटर तक पहुंच चुकी है। राष्ट्रीय उच्च पथों की लंबाई 3,629 किलोमीटर से बढ़कर 6,147 किलोमीटर हो गई है, जबकि राज्य उच्च पथ 2,382 किलोमीटर से बढ़कर अब 3,638 किलोमीटर हो चुके हैं। इसी तरह वृहत जिला पथों की लंबाई 8,457 किलोमीटर से बढ़कर 16,296 किलोमीटर तक हो चुकी है, जो सड़क संपर्क के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है।

पुल निर्माण की दिशा में भी राज्य ने ऐतिहासिक प्रगति की है। 2005 से पहले गंगा नदी पर केवल 4 पुराने पुल थे जो 1959 से 2001 के बीच बने थे। अब 2025 तक कुल 7 नए पुल बन चुके हैं। कोसी नदी पर पुलों की संख्या 2 से बढ़कर 6 हो गई है, जिनमें 3 निर्माणाधीन हैं। गंडक नदी पर भी 4 नए पुल बने हैं और 3 पर काम जारी है। सोन नदी पर अब 6 पुल हैं, जबकि पहले केवल 2 थे।

आरओबी यानी रेलवे ओवर ब्रिज की संख्या भी 11 से बढ़कर 87 हो गई है, जिनमें से 40 से अधिक अभी निर्माणाधीन हैं। यह राज्य के यातायात को निर्बाध और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।

ग्रामीण भारत से जुड़े इस राज्य में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना ने क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। 2005 से पहले इस योजना का कोई अता-पता नहीं था, लेकिन 2025 तक इसके अंतर्गत 62,728 गांवों को जोड़ते हुए कुल 64,430 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया है। अब इन सड़कों के रखरखाव के लिए ओपीआरएमसी जैसी योजनाएं लागू हैं, जिससे सड़कें लंबे समय तक दुरुस्त बनी रहें।

बाईपास मार्गों के विस्तार में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। जहां पहले इनकी कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं थी, वहीं अब कुल 47 बाईपास स्वीकृत हो चुके हैं, जिनमें से 12 पूरी तरह से बनकर चालू हो चुके हैं।

सड़कों और पुलों के निर्माण ने बिहार को केवल रफ्तार ही नहीं दी, बल्कि विकास के हर क्षेत्र में नए अवसर भी खोले हैं। अब बच्चों को दूर-दराज के स्कूलों तक जाने में कोई कठिनाई नहीं होती। किसान अपनी उपज को सीधे शहरी मंडियों तक ले जा पा रहे हैं। वहीं, राज्य के ऐतिहासिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थलों तक बेहतर पहुंच से पर्यटन को भी नई ऊर्जा मिली है, जिससे स्थानीय रोजगार और पहचान दोनों को मजबूती मिल रही है। ‎ 


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Ramanjot

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