बदलाव की तस्वीर: बच्चों को मिला जीवन और सुरक्षा का अधिकार! मातृ और शिशु स्वास्थ्य में ऐतिहासिक सुधार
Sunday, Jul 06, 2025-08:26 PM (IST)

पटना:बिहार में स्वास्थ्य क्षेत्र की तस्वीर अब पूरी तरह बदल चुकी है। जहां एक समय मातृ और शिशु मृत्यु दर गंभीर चिंता का विषय था, वहीं अब राज्य संस्थागत प्रसव और सम्पूर्ण टीकाकरण जैसे क्षेत्रों में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। यह बदलाव कोई एक दिन में नहीं हुआ, बल्कि यह पिछले दो दशकों में लगातार किए गए सुधारों, नीतियों और ज़मीनी कार्यों का परिणाम है।
संस्थागत प्रसव में क्रांतिकारी वृद्धि
बिहार में साल 2005 तक राज्य में मात्र 19.9 फीसद महिलाएं संस्थागत प्रसव (अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव) का विकल्प चुनती थीं। इसका मतलब था कि अधिकांश महिलाएं अब भी घर पर प्रसव कराती थीं। इससे जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा बना रहता था। लेकिन सरकार की ओर जागरूकता अभियानों, जननी सुरक्षा योजना, एम्बुलेंस सेवा, मुफ्त दवाओं और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की उपलब्धता जैसी पहलों ने बिहार की नई तस्वीर गढ़ी है। वर्ष 2019-20 तक यह आंकड़ा बढ़कर 76.2 फीसद तक पहुंच गया है। जो इस बात का प्रमाण है कि अब महिलाएं सुरक्षित प्रसव की ओर बढ़ रही हैं।
टीकाकरण अभियान बना जन आंदोलन
संपूर्ण टीकाकरण अभियान स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि रही है। साल 2002 में जहां केवल 18 फीसद बच्चों को सम्पूर्ण टीकाकरण मिला था, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 90 फीसद तक पहुंच गया है। यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि लाखों बच्चों के जीवन की सुरक्षा का प्रमाण है। मिशन इंद्रधनुष, नियमित स्वास्थ्य जांच शिविर, आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सक्रियता इस कामयाबी की रीढ़ बनी।
बदला बिहार का स्वास्थ्य मॉडल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यभार संभालने के बाद राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। चाहे बात नए अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के निर्माण की जाए या नर्सों और डॉक्टरों की नियुक्ति की। टेलीमेडिसिन और आधुनिक जांच सुविधा की जैसे हर स्तर पर बदलाव लाया गया। अब बिहार के हर गांवों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंची है। जिसका नतीजा है आज गरीब से गरीब व्यक्ति इलाज के अधिकार का उपयोग कर पा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धियां
- संस्थागत प्रसव :
- 2005 : 19.9 फीसद
- 2019-20 : 76.2 फीसद
- सम्पूर्ण टीकाकरण:
- 2002 : 18 फीसद
- 2024 : 90 फीसद
- हेल्थ सब-सेंटर और PHC की संख्या में वृद्धि
- महिला स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में इज़ाफा
- मातृत्व सहायता योजनाओं का लाभ लाखों को
- बच्चों और महिलाओं को मिला जीवन का अधिकार
स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह बदलाव न केवल आंकड़ों की कहानी है, बल्कि यह हर उस मां और बच्चे की जीत है, जिनके जीवन में सुरक्षा और सम्मान अधिकार सुनिश्चित हुआ। बिहार आज सुरक्षित मातृत्व और स्वस्थ बचपन की दिशा में पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन चुका है।