धनतेरस को लेकर सजे बाजार, कई महीनों बाद कारोबारियों के खिले चेहरे

11/12/2020 4:08:23 PM

 

पटनाः कोरोना को जिंदगी का हिस्सा बना चुके बिहार के लोग जीवन में उम्मीद की रोशनी जलाए रखने के लिए आज धनतेरस के साथ शुरू हुए दीपोत्सव पर खरीददारी करने बाहर निकल रहे हैं, जिससे न केवल बाजारों में चहल-पहल बढ़ी है बल्कि कई महीनों से कारोबार की सुस्ती झेल चुके दुकानदारों के चेहरे भी खिल उठे हैं।

पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की र्त्योदशी को धन्वतरि त्रयोदशी मनायी जाती है, जिसे ‘धनतेरस' कहा जाता है। ‘धनतेरस' का पर्व आज मनाया जा रहा है। यह मूलत: आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस के दिन नये बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परम्परा है। धनतेरस पर बर्तन खरीदने की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि जन्म के समय धन्वन्तरि के हाथों में अमृत कलश था और यही कारण इस दिन बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं। धनतेरस धन, वैभव एवं सुख समृद्धि का प्रतीक है।

वहीं राजधानी पटना सहित पूरे राज्य के बाजारों में जिस तरह से खरीददार नजर आ रहे हैं, उससे भी कारोबारियों के चेहरे खिले नजर आए। ग्राहकों की भीड़ देख दुकानदार भी उत्साहित हैं। उन्हें उम्मीद है कि त्योहार की रौनक कोरोना से हुए नुकसान की भरपाई कर देगा। देवी-देवताओं की मूर्तियां एवं चित्रों के साथ-साथ घर-आंगन को सजाने के लिए रंग-बिरंगे बल्बों की लड़ियां, लाइटिग स्टैंड, झालर, लटकन तथा मिट्टी के डेकोरेटिव दीप उपलब्ध हैं। छोटे बल्ब की लड़ियों की बाजार में मांग अधिक है।

Nitika