पटना कलेक्ट्रेट को ढहाए जाने की सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी पर विरासत विशेषज्ञ बोले- यह बड़ा झटका

5/16/2022 6:10:49 PM

नई दिल्ली/पटनाः सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सदियों पुराने पटना कलेक्ट्रेट परिसर को ढहाए जाने की कार्रवाई शुरू होने के बाद विरासत से जुड़े विशेषज्ञों ने इस फैसले को देशभर में ऐतिहासिक संरक्षण को लेकर जारी नागरिक प्रयासों के लिए बड़ा झटका बताया। विशेषज्ञों ने आशंका जताई कि यह फैसला एक खराब मिसाल कायम करेगा।

शीर्ष अदालत द्वारा परिसर के विध्वंस का मार्ग प्रशस्त करने के एक दिन बाद शनिवार को बुलडोजर ने पटना कलेक्ट्रेट परिसर में वर्ष 1938 में बने जिला बोर्ड पटना भवन के सामने के स्तंभों को गिरा दिया। इस भवन के कुछ हिस्से डच काल के दौरान बनाए गए थे। रविवार को ब्रिटिश-युग की इस इमारत का अग्र भाग तहस नहस नजर आ रहा था, क्योंकि तत्कालीन बर्मा से लाई गई सागौन की लकड़ी से बने दरवाजे और अन्य सजावटी चीजों को दीवारों से बाहर निकाल दिया गया था। इसके अलावा बैठक हॉल के अंदर के भित्ति स्तंभ बुलडोजर चलने के कारण मलबे के ढेर में बदल गए थे। अदालत के आदेश ने देश-विदेश के धरोहर प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया है।

कोलकाता के लेखक अमित चौधरी ने को बताया कि वह स्तब्ध हैं कि कुछ लोग पहली बार में ऐसी ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त करना चाहते थे। चौधरी ने कहा, ‘‘मैं फैसला सुनाने से पहले अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों को पढ़कर अधिक चकित था, जो मुझे लगता है कि ऐतिहासिक इमारतों को विध्वंस से बचाने के लिए देशभर के जन अभियानों के लिए एक भयानक झटका होगा।'' चौधरी, जो अपने शहर की विरासत को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, ने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला ‘एक बहुत खराब मिसाल कायम करेगा'। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे डर है कि कल किसी भी असुरक्षित पुरानी इमारत को कलेक्ट्रेट के मामले का हवाला देते हुए गिराया जा सकता है।''

चौधरी ने कहा कि वह यह पढ़कर चौंक गए जिसमें कहा गया कि हर पुरानी इमारत को विरासत नहीं माना जा सकता और यह सिर्फ एक डच-युग का अफीम गोदाम था, जो संरक्षण के योग्य नहीं था। सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को 18वीं सदी के कलेक्ट्रेट परिसर के विध्वंस का रास्ता साफ करते हुए कहा कि औपनिवेशिक शासकों द्वारा बनाई गई हर इमारत को संरक्षित करने की जरूरत नहीं है। दिल्ली स्थित कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए भारतीय राष्ट्रीय न्यास (आईएनटीएसीएच) वर्ष 2016 से कलेक्ट्रेट को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था, जबकि बिहार सरकार ने एक बहुमंजिला कलेक्ट्रेट परिसर के लिए रास्ता बनाने के लिए इसे ध्वस्त करने की घोषणा की थी। आईएनटीएसीएच (पटना) ने वर्ष 2019 में कानूनी लड़ाई शुरू की थी।


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Ramanjot

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