BJP के बाद अब कांग्रेस ने की मांग, कहा- बिहार में शराबबंदी कानून को वापस ले सरकार

12/8/2022 2:42:36 PM

पटनाः बिहार में मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बाद सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक कांग्रेस ने भी शराबबंदी से प्रदेश में राजस्व के भारी नुकसान होने का हवाला देते हुए मांग की कि यदि सरकार पूर्ण शराबबंदी को सख्ती से लागू करने में विफल रही है तो इसे वापस ले लिया जाना चाहिए।

नहीं मिल रहा शराबबंदी का अपेक्षित परिणाम
बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तमाम प्रयासों के बावजूद बिहार में शराबबंदी का कोई अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के शराब माफिया के साथ सांठगांठ होने के कारण बिहार में शराब व्यापक रूप से उपलब्ध है। शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री यदि किसी जिले में शराब बरामद होती है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि यदि शराब माफियाओं के साथ सांठगांठ तोड़ने के लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के बावजूद पूर्ण शराबबंदी का कोई परिणाम नहीं दिख रहा है तो यह शराबबंदी नीति की समीक्षा का सही समय है।

प्रदेश में राजस्व का भारी नुकसान
कांग्रेस नेता ने कहा, 'आखिरकार शराबबंदी के कारण हर साल राज्य के खजाने को 10000 करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। यदि शराबबंदी को सख्ती से लागू नहीं किया जा रहा है तो इसे जारी रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।'' उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान जरूरत पड़ने पर इस मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है।

सुशील मोदी ने भी की थी समीक्षा की मांग
गौरतलब है कि भाजपा के राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी बुधवार को कहा कि बिहार में शराब से जुड़े मामलों में एक माह के दौरान 45 हजार से ज्यादा गरीब-जनजातीय लोगों की गिरफ्तारी और तीन लाख लीटर शराब बरामद होना साबित करता है कि पूर्ण शराबबंदी लागू करने में प्रदेश की नीतीश सरकार पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि भाजपा मद्यनिषेध के विरुद्ध नहीं लेकिन इसे लागू करने में सरकार विफल है। इसकी समीक्षा क्यों नहीं होनी चाहिए।

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Ramanjot