Bihar land record digitization: 1796 से अब तक के भूमि अभिलेख होंगे Online, बिहार सरकार ने शुरू की ऐतिहासिक पहल

Thursday, Jul 17, 2025-06:35 PM (IST)

पटना:भूमि से संबंधित तमाम दस्तावेजों को डिजिटल रूप से सहेजने की मुहिम शुरू हो गई है। इससे दस्तावेजों की पारदर्शिता बढ़ने के साथ ही निबंधन कार्यालयों में रखे सभी पुराने भू-अभिलेख समेत तमाम तरह के दस्तावेजों को संजोए कर रखने की मुहिम चल रही है। सुरक्षा बढ़ाने के लिए रजिस्ट्री कार्यालयों में रखे पुराने निबंधित अभिलेख ऑनलाइन अपलोड किए जा रहें हैं। जुलाई अंत तक दस्तावेजों के डिजिटाइजेशन का काम पूरा कर लिया जाएगा। 

मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अनुसार, पहले चरण में वर्ष 1990 से 1995 के बीच मौजूद 50 लाख से अधिक दस्तावेजों को जल्द डिजिटाइज कर लिया जाएगा। इसके लिए अप्रैल 2025 से पांच एजेंसियां काम कर रहीं हैं। इस पहल के बाद नागरिकों के लिए जमीन की जानकारी ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।

तीन चरणों में 4.17 करोड़ से अधिक दस्तावेजों का होगा डिजिटाइजेशन

विभाग ने करीब चार करोड़ 17 लाख दस्तावेजों को डिजिटाइज करने का महत्वपूर्ण लक्ष्य रखा है, जिसे तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। इसके तहत पहले चरण का काम जारी है। दूसरे चरण में वर्ष 1948 से 1990 के बीच के करीब दो करोड़ 23 लाख दस्तावेज डिजिटाइज किए जाएंगे। वहीं, तीसरे और आखिरी चरण में वर्ष 1908 से 1947 के बीच के एक करोड़ 44 लाख से अधिक दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड होंगे।

विभाग के पास वर्ष 1796 से अबतक के दस्तावेज हैं मौजूद

विभाग के पास वर्ष 1796 से लेकर अबतक के जमीन संबंधित दस्तावेज कागजी तौर पर उपलब्ध हैं, जिनमें 99 प्रतिशत से अधिक दस्तावेज जमीन-जायदाद से संबंधित हैं। इन दस्तावेजों को सहेजना चुनौतीपूर्ण है। समय पर दस्तावज नहीं मिलने पर भूमि विवाद के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। डिजिटाइजेशन से न केवल इन्हें सुरक्षित रखा जाएगा, बल्कि आसानी से इन्हें ढूंढा भी जा सकेगा।

डाउनलोड की सुविधा: महानिरीक्षक निबंधन

आबकारी आयुक्त सह महानिरीक्षक निबंधन रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि निबंधित जमीन के दस्तावेजों और अभिलेखों के डिजिटाइजेशन से लोग घर बैठे इसे देख और डाउनलोड कर सकेंगे। इस सुविधा से खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों को राहत मिलेगी। इसके लिए विभाग युद्धस्तर पर काम कर रहा है।

दस्तावेजों को तीन चरणों में किया जा रहा अपलोड

जमीन संबंधी दस्तावेजों को डिजिटाइज करने की तीन प्रिक्रियाएं होती हैं। पहली प्रक्रिया में दस्तावेजों को स्कैन किया जाता है, फिर उसकी जानकारी अपलोड की जाती है। अंत में इसे नागरिकों के लिए सार्वजनिक किया जाता है। इससे भू अभिलेखों को खोजने में आसानी होगी, नागरिकों और रजिस्ट्री कर्मचारियों दोनों के समय और संसाधनों की बचत होगी। इसके साथ ही विवादों का समाधान और अभिलेखों में छेड़छाड़ की आशंका कम हो जाएगी। इससे भू-माफियाओं पर अंकुश लगेगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ramanjot

Related News

static