Bihar Diwas: 111 साल का हुआ बिहार, दुनिया को शून्य देने वाले आर्यभट्ट की जन्मस्थली भी बिहार, जानें राज्य का इतिहास

Wednesday, Mar 22, 2023-02:42 PM (IST)

पटनाः भारत के स्वर्णिम इतिहास का साक्षी और आर्यभट्ट, सीता और गुरु नानक देव जैसे व्यक्तित्व की जन्मस्थली बिहार है। बिहार  केवल एक राज्य नहीं है। बल्कि ये स्थान है वेदों और प्राकृतिक सौंदर्य का। बिहार का इतिहास हमेशा से गौरवशाली रहा है। ये वहीं बिहार है, जिसने भारत को पहला राष्ट्रपति दिया। आज पूरा बिहार राज्य के 111 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है।

बिहार का इतिहास
पहले बिहार को मगध के नाम से जाना जाता था और उसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी। बिहार का इतिहास बहुत पुराना है। बिहार दिवस हर साल २२ मार्च को मनाया जाता है। यह बिहार राज्य के गठन को चिह्नित करता है। इसी दिन अंग्रेजों ने 1912  में बंगाल से बिहार को अलग कर एक राज्य बनाया था। 1935 में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया। बिहार दिवस की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2010 में की। इसके बाद बड़े पैमाने पर बिहार दिवस मनाने की शुरुआत की गई। हर साल बिहार सरकार 22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाए जाने वाले पब्लिक हॉलिडे की घोषणा करते हुए एक अधिसूचना जारी करती है।

दुनिया को शून्य देने वाले आर्यभट्ट की जन्मस्थली भी है बिहार
बिहार का राज्य गीत है 'मेरे भारत के कंठहार, तुझको शत्‌-शत्‌ वंदन विहार'। इस गीत को ऑफिशियल तौर पर मार्च 2012 में अपनाया गया था। वहीं एक समय में बिहार को शिक्षा के प्रमुख केंद्रों में गिना जाता था। नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय और ओदंतपुरी विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्र थे। बता दें कि दुनिया को शून्य देने वाले आर्यभट्ट की जन्मस्थली भी बिहार है। बिहार दिवस के मौके पर सभी जिलों में जश्न को मनाया जा रहा है।


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Content Editor

Swati Sharma

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