649 नए पुल, 2977 करोड़ का निवेश - बिहार की ग्रामीण कनेक्टिविटी को मिलेगा नया आयाम
Sunday, Jun 15, 2025-09:39 PM (IST)

पटना:राज्य में पुल निर्माण की गुणवत्ता को और अधिक सुदृढ़ करने तथा अभियंताओं की तकनीकी दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से पटना स्थित ज्ञान भवन में रविवार को कनीय अभियंताओं और तकनीकी पर्यवेक्षकों के लिए विशेष उन्मुखीकरण -सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित अशोक चौधरी मंत्री ग्रामीण कार्य विभाग ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व में सरकार का उद्देश्य है कि राज्य का हर ग्रामीण क्षेत्र बेहतर पूल और सड़क नेटवर्क से जुड़े ताकि राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से राजधानी पटना 4 घंटे में पहुचा जा सके।
यह कार्यक्रम केवल तकनीकी जानकारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नए युग की शुरुआत है, जिसमें युवा अभियंता अपनी सोच, निष्ठा और विशेषज्ञता से बिहार को आत्मनिर्भर और प्रगतिशील बनाएंगे। मंत्री ने बताया कि विभाग द्वारा निर्मित पथों की लंबाई अब बढ़कर 1,18,706 किलोमीटर हो गई हैं। ग्रामीण पुलों एवं सड़कों के निर्माण के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं जिनके निर्माण से कृषि उत्पादों का बाजार तक आसान पहुंच सुनिश्चित हुआ है। इससे बिहार के कृषि उत्पादों का न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विक्रय हो रहा है।
पुल निर्माण के बारे में विस्तार से चर्चा
कार्यक्रम में पुल निर्माण की डिजाइन, मिट्टी की जांच, निर्माण की प्रक्रिया, लोड टेस्टिंग, और सुरक्षा उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई। बताया गया कि ये तकनीकें भले ही अधिक समय लेने वाली हों, लेकिन इनसे बनाए गए पुल अधिक मजबूत और सुरक्षित होते हैं। इस अवसर पर पुल निर्माण में ‘डीप फाउंडेशन’ यानी गहरी नींव संबंधी तकनीक की जानकारी दी गई । प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि जब भूमि की सतह अपेक्षाकृत कमजोर होती है या पुल पर भारी यातायात का दबाव होता है, ऐसे में पुल संरचना की स्थिरता और दीर्घकालिक मजबूती सुनिश्चित करने हेतु गहरी नींव (डीप फाउंडेशन) का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। ऐसे में पाइल फाउंडेशन और वेल फाउंडेशन जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। गहरी नींव की तकनीकों में खंभों (पाइल) को जमीन में गहराई तक डाला जाता है जिससे भार को नीचे तक स्थानांतरित किया जा सके। वहीं वेल फाउंडेशन का उपयोग खासतौर पर नदी या पानी से भरे जगहों पर किया जाता है।
राज्य में अब तक लगभग 2,500 पुलों का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है, जबकि 950 पुलों का कार्य विभिन्न चरणों में प्रगति पर है। उल्लेखनीय है कि ‘मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना’ को 9 वर्षों के अंतराल के बाद पुनः प्रारंभ किया गया है। इस योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024–25 में ₹2,977 करोड़ की लागत से 649 नए पुलों के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई है। पुलों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की है, जिसे सभी अभियंताओं को अपनाने के निर्देश दिए गए हैं।
इस मौके पर अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने गुणवत्तापूर्ण पुलों के निर्माण को लेकर कनीय अभियंताओं को जरूरी दिशा-निर्देश दिया। गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर विशेष बल देते हुए अपर मुख्य सचिव ने कहा कि विभागीय कार्यों की दक्षता और तकनीकी क्षमताओं को और अधिक सुदृढ़ करने के उद्देश्य से आने वाले समय में वरिष्ठ अभियंताओं — जिसमें सहायक अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता शामिल हैं — को भी चरणबद्ध तरीके से उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ।
इस मौके पर बड़ी संख्या में अभियंताओं और तकनीकी स्टाफ ने भाग लिया और तकनीकी विशेषज्ञों से सीधे संवाद किया। कार्यक्रम उद्घाटन के अवसर पर ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता प्रमुख-सह-विशेष सचिव भगवत राम ने मंत्री अशोक चौधरी को पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। अभियंता प्रमुख ने तकनीकी बारीकियों को समझाते हुए पुल निर्माण में लगे सभी अभियंताओं एवं तकनीकी पर्यवेक्षकों को आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने का निर्देश दिया । इस अवसर पर ग्रामीण कार्य विभाग के विशेष सचिव उज्ज्वल कुमार सिंह, अभियंता प्रमुख निर्मल कुमार, संयुक्त सचिव संजय कुमार, संयुक्त सचिव अभय झा एवं विभाग के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।