बिहार में लोकआस्था के महापर्व चैती छठ पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
4/18/2021 9:39:26 PM
पटनाः बिहार में लोक आस्था का महापर्व चैती छठ के अवसर पर व्रतधारियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य अर्पित किया। बिहार में चार दिनों तक चलने वाले लोकआस्था के महापर्व 'चैती छठ' 16 अप्रैल से शुरू हुआ है। साल में दो बार चैत्र और कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष में महापर्व छठ व्रत होता है, जिसमें श्रद्धालु भगवान भास्कर की अराधना करते हैं। इस साल चैती छठ में श्रद्धालुओं में उत्साह भरा माहौल नहीं दिख रहा है।
सूर्योपासना का प्रसिद्ध छठ पर्व इस बार नदियों और जलाशयों में नहीं मनाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के चलते सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए घरों में छठ करने की सलाह दी है। लोग अपने घर पर रहकर ही चैती छठ मना रहे हैं। छठ महापर्व के तीसरे दिन आज व्रतियों ने पूरी निष्ठा और पवित्रता के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को फल एवं कंद मूल से प्रथम अर्घ्य अर्पित किया। छठ व्रती भगवान भास्कर और छठी मैया से मन्नत मांग रहे हैं कि कोरोना महामारी से लोगों को जल्द ही निजात मिले और वे सुखी जीवन जी सकें। पारिवारिक और शारीरिक सुख-शांति के लिए मनाये जाने वाले इस महापर्व के चौथे दिन कल व्रतधारी फिर उदयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देंगे।
दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं को 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होगा और वे अन्न ग्रहण करेंगे। बता दें कि चार दिवसीय यह महापर्व नहाय खाय से शुरू होता और उस दिन श्रद्धालु नदियों और तलाबों में स्नान करने के बाद शुद्ध घी में बना अरवा भोजन ग्रहण करते हैं। इस महापर्व के दूसरे दिन श्रद्धालु दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करते हैं और उसके बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चांद नजर आए तब तक ही पानी पीते हैं। इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।