बिहार विधान परिषद चुनावः RJD के एकतरफा उम्मीदवारों की घोषणा का सहयोगी दलों ने जताया विरोध

6/1/2022 10:51:42 AM

 

पटनाः बिहार में आगामी विधान परिषद चुनावों के लिए सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श के बिना लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल द्वारा एकतरफा उम्मीदवारों की घोषणा का सहयोगी दलों ने मंगलवार को कड़ा विरोध किया।

भाकपा-माले ने बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को एक पत्र लिखकर उन्हें पिछले आश्वासन कि वामदल को उच्च सदन में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, की याद दिलाई है। भाकपा-माले के 12 विधायक हैं और वर्तमान में राजद का सबसे बड़ा सहयोगी है। कांग्रेस ने विपक्ष में सबसे बड़ी इस पार्टी को यह याद दिलाने की कोशिश की कि उसके पास 3 एमएलसी को अपने दम पर निर्वाचित कराने के लिए बिहार विधानसभा में आवश्यक संख्या नहीं है। इन विपक्षी दलों द्वारा यह प्रतिक्रिया राजद के पिछले दिन की घोषणा के बाद आई है कि वह 7 सीटों में से केवल तीन जिसके लिए चुनाव जल्द ही होने वाले हैं, पर चुनाव लड़ रही है।

राजद ने एक मुस्लिम, एक दलित महिला और एक ब्राह्मण के नामों को अपने उम्मीदवारों के रूप में घोषित कर यह रेखांकित करने की कोशिश की है कि वह सभी सामाजिक समूहों की परवाह करती है, न कि केवल यादव समुदाय की जैसा कि विरोधियों का अक्सर आरोप रहा है। वाम दल के मीडिया प्रभारी कुमार परवेज ने कहा, ‘‘हमने तेजस्वी यादव को एक पत्र भेजकर याद दिलाया है कि विधानसभा चुनावों में हमारी पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्होंने सहमति व्यक्त की थी कि भाकपा-माले बिहार विधान परिषद में सदस्य होने के योग्य हैं और समय आने पर इस संबंध में हमारी मदद करने का वादा किया है।'' उन्होंने कहा कि वाम दल ने अपने पत्र में अपने स्वयं के उम्मीदवारों पर फैसला करते समय राजद को भाकपा-माले को अंधेरे में रखने पर अपनी पीड़ा व्यक्त की है और अनुरोध किया है कि अभी भी समय है, राजद इसपर पुनर्विचार करे।

7 सीटों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया 02 जून से शुरू होगी और 09 जून तक चलेगी। राजद के पास 76 विधायक हैं जबकि वाम मोर्चा जिसमें भाकपा-माले, भाकपा और माकपा शामिल हैं, के पास कुल 16 विधायक हैं। सत्तारूढ़ राजग जिसमें भाजपा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल हैं, के पास बिहार विधानसभा में पूर्ण बहुमत है और इस गठबंधन के कम से कम चार सीटें जीतने की उम्मीद है। इस बीच कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं और उसने राजद और वाम दलों के साथ गठबंधन करके 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन पिछले साल सितंबर-अक्टूबर महीने में 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में राजद द्वारा एकतरफा अपना उम्मीदवार उतारे जाने के विरोध में राजद के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया था।

कांग्रेस दोनों सीटों में से किसी एक पर चुनाव लड़ना चाहती थी। ऐसा माना जाता है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव के संभावित प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखे जाने वाले पूर्व भाकपा नेता कन्हैया कुमार को कांग्रेस में शामिल किए जाने पर राजद इस दल से नाराज था। बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजित शर्मा ने कहा, ‘‘राजद को पिछले साल अपने हठधर्मिता से कुछ हासिल नहीं हुआ था। इसने विधानसभा में दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर जोर दिया और दोनों को हार का सामना करना पड़ा। अब वह विधान परिषद की तीन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। वह तब तक जीतने की उम्मीद नहीं कर सकता जब तक कि कांग्रेस और वाम दलों के प्रति सम्मान का भाव और उनका समर्थन नहीं हासिल करता है।''
 

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Nitika