Merger of banks: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय, बिहार में 2 बैंकों का होगा मर्जर, पटना में हेडऑफिस

Wednesday, Nov 06, 2024-02:04 PM (IST)

पटना: वित्त मंत्रालय ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के विलय का चौथा चरण शुरू कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप इन बैंकों की संख्या वर्तमान में 43 से घटकर 28 हो सकती है। इस विलय प्रक्रिया के तहत, 15 आरआरबी का अलग-अलग राज्यों में एकीकरण किया जाएगा। वहीं, बिहार में भी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय होगा। राज्य के उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के साथ विलय की प्रक्रिया शुरू हो गई है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आपसी विलय के लिए राज्य के अधिकतम व्यापार वाले ग्रामीण बैंक में दूसरे ग्रामीण बैंक के विलय और राज्य मुख्यालय में प्रधान कार्यालय रखने का निर्देश दिया है। इसके तहत उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक जो सेंट्रल बैंक द्वारा प्रायोजित है, उसका विलय पंजाब नेशनल बैंक की ओर से प्रायोजित दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के साथ होगा। इन दोनों बैंकों का विलय करके एक बड़ा ग्रामीण बैंक बनाया जाएगा, जो पूरे राज्य में अपनी सेवाएं देगा। 

सभी 38 जिलों में संचालित होगा यह नया बैंक 
बता दें कि उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का मुख्यालय मुजफ्फरपुर में है, जबकि दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का मुख्यालय पटना में है। विलय के बाद नए बैंक का मुख्यालय पटना में रहेगा। यह सभी 38 जिलों में संचालित होगा। बता दें कि वित्त मंत्रालय के तरफ से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का दूसरे बैंकों में विलय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आरआरबी का विलय आंध्र प्रदेश (चार आरआरबी), उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल (प्रत्येक में तीन) और गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा तथा राजस्थान (प्रत्येक में दो) में किया जाएगा। 

बैंक के विलय से फायदे
 ग्रामीण बैंक का संसाधन बढ़ जाएगा व ऋण देने की क्षमता बढ जाएगी। इससे राज्य,खासकर कर ग्रामीण अर्थ व्यवस्था मजबूत होगी। ग्रामीण बैंक बाजार से पूंजी एकत्र करने में सक्षम होंगे। ग्रामीण बैंक का पूंजी के लिए सरकार पर निर्भरता कम होगी और अपने स्थापना खर्च वहन में आत्मनिर्भर होंगे।

आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी
वित्तीय सेवा विभाग ने बताया कि समेकन के लिए राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के परामर्श से एक खाका तैयार किया गया है, जिससे आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी। बता दें कि वित्तीय सेवा विभाग ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों के प्रमुखों से 20 नवंबर तक टिप्पणियां मांगी हैं। केंद्र ने 2004-05 में आरआरबी के संरचनात्मक समेकन की पहल की थी, जिसके परिणामस्वरूप तीन चरणों के विलय के माध्यम से 2020-21 तक ऐसे संस्थानों की संख्या 196 से घटकर 43 रह गई।

केंद्र की वर्तमान में आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी
बता दें कि इन बैंकों की स्थापना आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों व कारीगरों को ऋण तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करना था। इस अधिनियम में 2015 में संशोधन किया गया जिसके तहत ऐसे बैंकों को केन्द्र, राज्य और प्रायोजक बैंकों के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई। केंद्र की वर्तमान में आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 35 प्रतिशत तथा 15 प्रतिशत हिस्सेदारी क्रमशः संबंधित प्रायोजक बैंकों और राज्य सरकारों के पास है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Harman

Related News

static